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अब आप अपने स्वाद अनुसार ले सकेंगे चीनी, जानिए कौन-कौन से हैं फ्लेवर

जिस तरह चाय में ग्रीन टी, लेमन टी व ब्लैक टी जैसी फरमाइश पूछी जाती हैं, अब उसी तरह चीनी भी आपकी पसंद का ख्याल रखकर दी जाएगी। चीनी केवल मीठी ही नहीं बल्कि आपके स्वाद के अनुसार उपलब्ध होगी। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) में स्थापित स्पेशियलिटी शुगर डिवीजन में 38 तरह के फ्लेवर वाली चीनी का उत्पादन किया जाएगा। यह प्रयोगशाला संस्थान के पूर्व छात्र डॉ. जीएससी राव के सहयोग से स्थापित की गई है। इसका उद्घाटन केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी ने किया है। एनएसआइ निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि चीनी को लेकर लोगों का टेस्ट लगातार बदलता जा रहा है। ऐसे लोग भी हैं, जो चीनी का इस्तेमाल केवल मीठे के लिए ही नहीं बल्कि स्वाद के लिए भी करते हैं। इस प्रयोगशाला में डॉ. राव ने सात तरह की मशीनें लगाई हैं, जो न केवल मजेदार स्वाद की चीनी का उत्पादन करेंगी बल्कि शुगर इंजीनियङ्क्षरग व टेक्नोलॉजी के छात्र यहां पर इसका प्रायोगिक अध्ययन भी कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि 60 फीसद चीनी का इस्तेमाल इंडस्ट्री व 40 फीसद घरेलू रूप में होता है। उद्घाटन समारोह में सांसद देवेंद्र सिंह भोले व विधायक नीलिमा कटियार समेत शिक्षक व छात्र-छात्राएं शामिल रहे। यूआइडीएन से होगी चार्टड अकाउंटेंट की जांच, सामने आएगा कंपनियों का फर्जीवाड़ा यह भी पढ़ें अदरक, नीबू, चॉकलेट समेत 38 तरह के होंगे फ्लेवर एनएसआइ की प्रयोगशाला में अदरक, नारियल, नीबू, आम, चॉकलेट व संतरा समेत 38 तरह के फ्लेवर वाली चीनी का उत्पादन किया जाएगा। डॉ. राव ने बताया कि देश में 250 लाख टन चीनी की खपत है, जबकि उत्पादन 70 लाख टन अधिक है। सरकार इसे निर्यात करने की तैयारी कर रही है। वहीं, चीनी का उत्पादन सामान्य करने के लिए गन्ने से सीधे 25 लाख टन इथेनॉल बनाए जाने की योजना भी है। इसके अलावा 2.5 बिलियन टन एल्कोहल के उत्पादन का लक्ष्य भी रखा गया है। नैतिकता, संस्कार की शिक्षा से ही बेहतर मुनष्य बनना संभव : राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द यह भी पढ़ें चीनी से जुड़ी खास बातें -देश में 50 लाख हेक्टेयर में गन्ने का उत्पादन होता है। पोलैंड के पॉवेल स्कोरा और डेविड का हुनर देख जब आइआइटियंस ने दंतों तले दबाई अंगुलियां यह भी पढ़ें -322 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है। -चीनी उत्पादन में 250 लाख टन चीनी की देश में खपत है। उदयपुर से पाटलिपुत्र तक के सफर में कानपुर भी 'हमसफर' यह भी पढ़ें -चीनी उत्पादन में निकलने वाले इथेनॉल को 10 फीसद ईंधन में मिलाने का लक्ष्य है। -जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट पर काम करने की जरूरत है। 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' तथा 'किशोरी योजना' जैसे कार्यक्रम हितकारी : रामनाथ कोविन्द यह भी पढ़ें -फूड प्रोसेसिंग पर ध्यान देने की जरूरत।

जिस तरह चाय में ग्रीन टी, लेमन टी व ब्लैक टी जैसी फरमाइश पूछी जाती हैं, अब उसी तरह चीनी भी आपकी पसंद का ख्याल रखकर दी जाएगी। चीनी केवल मीठी ही नहीं बल्कि आपके स्वाद के अनुसार उपलब्ध होगी। …

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