एक तरफ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने बढ़ते एनपीए से चिंतित हैं , वहीं दूसरी ओर विभिन्न बैंकों के 2.63 लाख खातों में पड़े 8,864.6 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं मिल रहा है. यह विसंगति हैरान करने वाली है. …
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