राजगृह का श्रेष्ठीपुत्र सिगाल सुबह-सुबह उठ कर नगर के बाहर गया। भीगे वस्त्रों से और भीगे केश से पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, नीचे और ऊपर छहों दिशाओं की ओर हाथ जोड़-जोड़ कर नमस्कार करने लगा। उन दिनों की अनेक पूजन-विधियों …
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