हम ऐसे स्टार्टअप्स की सक्सेस स्टोरीज सुनते आए हैं, जहां लोगों ने पढ़ाई के कुछ सालों के बाद ही अपना स्टार्टअप शुरू कर दिया और तरक्की की राह पर निकल गए। लेकिन पेपरफ्राई डॉट कॉम की शुरुआत करने वाले आशीष शाह ने अपने अच्छे-खासे लंबे करियर के बाद कुछ ऐसा करने की शुरुआत की जो उन्हें पर्सनल लेवल पर सुकून दे सके। पेपरफ्राई की शुरुआत करने के पहले वो एक लीडिंग ऑर्गनाइजेशन में टॉप पोजीशन पर थे। लेकिन अपने ग्लोरिफाइड करियर से वो कहीं न कहीं पूरी तरह से सैटिस्फाइड नहीं थे। तभी उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठानी जो रिस्की तो था लेकिन उनका सपना भी था। पर यहां सबसे इंपॉर्टेंट फैक्टर था, उनका प्रोफेशनल एक्सपीरियंस। इस फील्ड का उन्हें जबरदस्त एक्सपीरियंस था और यहीं से उन्होंने डिसाइड किया कि वो ये रिस्क लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
दमदार था पुराना एक्सपीरियंस
आशीष के पास केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है। प्रोफेशनल एक्सपीरियंस की बात की जाए तो ईबे मोटर्स- इंडिया और फिलिपीसं में बतौर बिजनेस हेड, बाजी डॉट कॉम में बी2बी प्रोक्योरमेंट में बतौर मैनेजर और कॉमर्स वन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में बतौर एसोसिएट कंसल्टेंट काम करने का अशीष के पास एक्सपीरियंस है। 2012 में पेपरफ्राई की शुरुआत करने से पहले उनके पास सेल्स ऑपरेशन, बिजनेस डेवलपमेंट, सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टर्स में काम करने का करीब 15 साल का एक्सपीरियंस था। ये आशीष की लीडरशिप का ही कमाल था कि ईबे को मार्केट में बड़ा फायदा हुआ था। आशीष उन चुनिंदा लोगों में शामिल थे जिन्होंने ईबे मोटर्स को 100 करोड़ तक पहुंचाने में अपना कॉन्ट्रिब्यूशन दिया था।
यूं आया बिजनेस आइडिया
कई सालों की जॉब के बाद आशीष ने ये रियलाइज किया कि उनमें अपना कुछ काम करने का पूरा पोटेंशियल है और इसी के साथ शुरुआत हुई ऑनलाइन फर्नीचर रीटेल सेलिंग वेबसाइट पेपरफ्राई की। उन्होंने अपने एक कलीग अंब्रीश मूर्ती के साथ पेपरफ्राई की शुरुआत की। फर्नीचर और लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स को चुनने के पीछे वजह ये थी कि इसका मार्केट तो बहुत बड़ा था लेकिन काई प्रॉपर फॉर्मेशन मॉडल नहीं था। आशीष ने रियलाइज किया कि लोग लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स पर पैसे तो खर्च करना चाहते हैं, लेकिन अभी इसके लिए ट्रेडिशनल तरीकों को ही अपना रहे हैं। इसके अलावा ऑनलाइन सेक्शन में भी फर्नीचर के कोई खास ऑप्शंस मौजूद नहीं थे जहां लोगों को भरपूर वैराइटी मिले। उन्होंने इसी गैप का फायदा उठाया। इंटरेस्टिंग बात ये है कि इसे शुरू करने के लिए उन्होंने अपनी पूरी सेविंग्स इनवेस्ट कर दीं।
पेपरफ्राई हुआ सक्सेसफुल
पेपरफ्राई के साथ कई सालों का एक्सपीरियंस जुड़ा था इसलिए जैसा कि एक्सपेक्ट किया गया, इसके लॉन्च के बाद पहले महीने में ही इसने उम्मीद से ज्यादा बिजनेस किया। लॉन्च के बाद इसने स्मॉल-स्केल इंडस्ट्री प्रोडक्ट्स बनाने शुरू किए और साथ ही उनकी वेबसाइट पर ब्रांडेड प्रोडक्ट्स भी अवेलेबल थे। कंपनी ग्रो करने लगी और 2014-15 में इसकी ग्रोथ करीब 350 परसेंट थी। आज पेपरफ्राई 12 से ज्यादा देशों में बिजनेस कर रहा है और इसके पास 7 लाख से भी ज्यादा यूजर्स हैं।
यहां आए चैलेंजेस
ऐसा नहीं है कि ये काम बहुत आसान था, हर बिजनेस की तरह ही इसमें भी आशीष ने कई चैलेंजेस का सामना किया। टेक्निकल प्रॉब्लम्स सबसे बड़ा चैलेंजेस थींं, शुरुआत से लेकर सक्सेसफुल होने तक। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई चेन में लूपहोल्स होना भी एक मेजर इश्यू था। आशीष का मानना है कि टेक्निकल प्रॉब्लम्स होने से ऑनलाइन कंज्यूमर्स तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है पर फिर भी चैलेंजेस को ओवरकम करना ही एक सक्सेसफुल बिजनेस की पहचान होती है और इसीलिए पेपरफ्राई भी सर्वाइव कर पा रही है।