छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आदिवासी महिला को एक जोड़ी चप्पल दिया. सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि 14 अप्रैल का आज का दिन देश के सवा सौ करोड़ लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. आज भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जन्म जयंती है. आज के दिन आप सभी के बीच आकर आशीर्वाद लेने का अवसर मिलना, मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है. इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ने सभा में मौजूद लोगों से हाथ उठवाकर जय भीम के नारे लगवाए. प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास की दौड़ में पीछे छूट गए और पीछे छोड़ दिए गए समुदायों में आज जो चेतना जागी है, वो चेतना बाबा साहब की ही देन है. एक गरीब मां का बेटा, पिछड़े समाज से आने वाला आपका ये भाई अगर आज देश का प्रधानमंत्री है, तो ये भी बाबा साहेब की ही देन है.
मोदी ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने हमेशा पिछड़ों के लिए काम किया. आज यहां आने का मकसद बीजापुर के लोगों में विश्वास जगाना है. बाबा साहेब की वजह से मैं प्रधानमंत्री बन सका. ये साबित हो गया है कि अगर कमजोर लोगों को प्रोत्साहन मिले, तो वे आगे निकल सकते हैं. उन्होंने कहा कि देश के सौ से ज्यादा जिले विकास की दौड़ में पिछड़े गए. तमाम चीजें होने के बावजूद 100 से ज्यादा जिलों का पिछड़ा होना हैरत की बात. मैं बीजापुर जिले के उन अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने 100 दिनों में ये साबित कर दिया कि वे विकास की दौड़ में महत्वाकांक्षी हैं. बीजापुर में 100 दिनों में बहुत प्रगति हुई है. पिछड़े जिलों में नई सोच के साथ बड़े काम हो रहे हैं.
मोदी ने कहा कि क्या इन क्षेत्रों के बच्चों को, बेटियों को, पढ़ाई का, अपने कौशल के विकास का अधिकार नहीं था, उम्मीद नहीं थी? क्या इन जिलों में रहने वाली माताओं को ये अधिकार नहीं था, कि उनके बच्चे भी स्वस्थ हों, उनमें खून की कमी न हो, उनकी ऊँचाई ठीक से बढ़े? क्या इन जिलों के लोगों ने, आपने, देश से ये आशा नहीं रखी थी उन्हें भी विकास में साझीदार बनाया जाए?. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद, इतने वर्षों में भी ये जिले पिछड़े बने रहे, इसमें उनकी कोई गलती नहीं। बाबा साहेब के संविधान ने इतने अवसर दिए, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, लेकिन फिर भी बीजापुर जैसे जिले, विकास की दौड़ में पीछे क्यों छूट गए?
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मैं आज इसलिए आया हूं, ताकि आपको बता सकूं, कि जिनके नाम के साथ पिछड़ा जिला होने का लेबल लगा दिया गया है, उनमें अब नए सिरे से, नई सोच के साथ बड़े पैमाने पर काम होने जा रहा है. मैं इन 115 महत्वाकांक्षी जिलों को सिर्फ आकांक्षी नहीं, महत्वाकांक्षी जिले कहना चाहता हूं.’