भारतीय यात्री वाहन निर्माताओं के पास 85-90 फीसदी चिप उपलब्ध है। चिप की कमी से यात्री वाहनों का निर्माण घटकर 3 लाख इकाई रह गया है। सितंबर में इसके घटकर दो लाख यूनिट तक रहने का अनुमान है।
कंप्यूटर व मोबाइल फोन की आपूर्ति में सुधार और धीमी मांग से सेमीकंडक्टर (चिप) की आपूर्ति अन्य क्षेत्रों खासकर ऑटोमोबाइल में फिर से शुरू हो गई है। चिप की कमी कम हो रही है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा, 2025-26 तक आपूर्ति की तुलना में मांग ज्यादा होने से एक बार फिर से दिक्कत हो सकती है। क्रिसिल ने कहा, कोरोना से वैश्विक वाहन उद्योग में चिप की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
भारतीय यात्री वाहन निर्माताओं के पास 85-90 फीसदी चिप उपलब्ध है। चिप की कमी से यात्री वाहनों का निर्माण घटकर 3 लाख इकाई रह गया है। सितंबर में इसके घटकर दो लाख यूनिट तक रहने का अनुमान है।
यात्री वाहनों में लगता है सर्वाधिक चिप
एक यात्री वाहन में औसतन 1,500 चिप की खपत होती है, जो अन्य वाहनों की तुलना में सबसे अधिक है। यात्री वाहन में अधिक इलेक्ट्रॉनिक फीचर से चिप की खपत बढ़ जाती है। भारत वर्तमान में आयात से चिप मांग को पूरा करता है। सरकार ने बढ़ती मांग व आयात निर्भरता कम करने के लिए सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के लिए 10 अरब डॉलर आवंटित किए हैं।