SEBI: केतन पारेख की पत्नी के फोन से सेबी ने बड़े गोरखधंधे का किया खुलासा

भारतीय शेयर बाजार से जुड़ा एक और घोटाला सामने आया है। इस घोटाले का खुलासा खुद बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने किया है। इस घोटाले में जिन लोगों का नाम सामने आ रहा है वे पहले भी निवेशकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने के आरोप में जेल जा चुके हैं। सेबी ने जिस ने घोटाले का खुलासा किया है वह क्या है? स्कैम के जरिए कितने रुपये की गड़बड़ी की गई? स्कैम में कौन लोग शामिल हैं? उन्होंने कैसे घोटाले का अंजाम दिया? उनपर पहले से क्या आरोप हैं? आइए जानते हैं सबकुछ।

शेयर बाजार में 2000-2001 के दौरान हुई गिरावट में अपनी भूमिका के लिए बदनाम केतन पारेख का नाम एक बार फिर एक बड़े वित्तीय घोटाले के केंद्र में है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक फ्रंट-रनिंग स्कैम का पर्दाफाश किया है। सेबी के अनुसार पारेख ने गैर-सार्वजनिक सूचना (एनपीआई) का इस्तेमाल करके शेयर बाजार में अवैध सौदे किए। सेबी की जांच से पता चला है कि पारेख ने अपने सहयोगी रोहित सालगांवकर के साथ मिलकर अंदरूनी जानकारी से लाभ उठाने के लिए मोबाइल फोन के एक नेटवर्क का इस्तेमाल किया, जिसके जरिए 65.77 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई। दोनों आरोपी 2000-2001 में हुए एक घोटाले में जेल भी जा चुके हैं।

कैसे चल रहा था फ्रंड रनिंग स्कैम का पूरा खेल?
बाजार नियामक सेबी ने जानकारी दी है कि एक फंड हाउस में सलगांवकर के करीबी संबंध थे। फंड हाउस किसी ट्रेडर्स डील को अंजाम देने से पहले रोहित सलगांवकर को सूचनाएं मुहैया करवा रहा था। पहली नजर में मिली जानकारी के मुताबिक, सलगांवकर इस सूचना को केतन पारेख के साथ साझा कर दोनों अवैध कमाई कर रहे थे। केतन पारेख सूचना हासिल कर अलग-अलग अकाउंट से ट्रेड को अंजाम देता था। सेबी जांच में इस बात की जानकारी मिली कि पारेख ट्रेड की फ्रंट रनिंग के लिए कोलकाता की इकाइयों के अपने पुराने नेटवर्क का इस्तेमाल करता था और नियामकीय दायरे से खुद को बचा लेता था। सेबी की जांच से पता चला कि सलगांवकर के पास एक बड़े अमेरिकी फंड की ओर से किए गए ट्रेडों के बारे में गोपनीय जानकारी तक पहुंचती थी, जिसे “बिग क्लाइंट” कहा जाता है। सेबी ने पाया कि पारेख इस जानकारी को फ्रंट रनर को मुहैया करता था, जो फिर बड़े क्लाइंट के लेनदेन से पहले सौदे करते थे। इससे उन्हें कीमतों को ऊपर-नीचे करने में मदद मिलती थी। सेबी को दिए गए अपने बयान में, सलगांवकर ने बताया कि उन्होंने बड़े क्लाइंट से मिली जानकारी का इस्तेमाल ट्रेड के लिए काउंटरपार्टी खोजने के लिए किया, जिसमें पारेख भी शामिल थे। उन्होंने कहा, “बड़े क्लाइंट का डीलर मुझे उस स्टॉक का नाम देता था जिसमें वे रुचि रखते थे। मैं विदेशी फंड, भारतीय फंड, शेयरों के अन्य धारकों और अंत में केतन पारेख के साथ इसे साझा करता था।” सलगांवकर ने यह भी स्वीकार किया कि पारेख ने बड़े क्लाइंट की टिप के आधार पर लगभग 90% सौदे किए।

सेबी मामले की तह तक कैसी पहुंची?
सेबी की जांच एक महत्वपूर्ण सुराग से शुरू हुई- यह सुराग पारेख की पत्नी ममता पारेख के नाम से पंजीकृत एक मोबाइल नंबर था। यह नंबर, ममता के आधार कार्ड से जुड़ा था। यह नंबर पारेख और उनके सहयोगियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल नंबरों के व्यापक नेटवर्क का हिस्सा था। सेबी के विश्लेषकों की जांच में पता चला कि पारेख ने विभिन्न नामों से कम से कम 10 अलग-अलग मोबाइल नंबर पंजीकृत किए थे। ये सभी पारेख के मुंबई स्थित आवास पर एक साथ मौजूद थे। ये नंबर पारेख के साथ अलग-अलग स्थानों पर पर उसकी यात्रा के दौरान भी मौजूद थे। इन नवंबरों से जांचकर्ताओं को जिससे महत्वपूर्ण आंकड़े मिले जिससे पूरे स्कैम को उजागर करने में मदद मिली। 15 मार्च, 2023 को सेबी के दफ्तर पहुंचकर दौरान पारेख ने अपना आधार कार्ड पेश किया, जिसमें उसका फोन नंबर “XXX0308243” था। सेबी जांचकर्ताओं ने पाया कि यह नंबर भी उनकी पत्नी के आधार कार्ड से जुड़ा हुआ था। इस खुलासे ने सेबी को अवैध गतिविधियों की आगे की जांच करने में मदद की। 12 दिसंबर, 2023 को सेबी को दिए गए एक बयान में पारेख ने पुष्टि की कि “XXX0308243” नंबर उनकी पत्नी का है, यह वही नंबर है, जिसका इस्तेमाल पूरे स्कैम में प्रमुख उपकरणों के रूप में किया गया। इस फोन के लोकेशन डेटा का विश्लेषण करके, सेबी ने पारेख की ओर से इस्तेमाल किए गए अन्य मोबाइल नंबरों से इसका मिलान किया जिससे गड़बड़ी के पूरे नेटवर्क का पता चला।

मामला सामने आने पर सेबी ने अबतक क्या कार्रवाई की?
सेबी की जांच में फ्रंट रनिंग में शामिल कई दलालों और सूत्रधारों की भी पहचान की गई। इनमें जीआरडी सिक्योरिटीज , सालासर स्टॉक ब्रोकिंग जैसे दलाल और कोलकाता स्थित अन्य संस्थाओं का नाम है। सेबी ने यह भी पाया कि इन ट्रेडों को निष्पादित करने के लिए फ्रंट रनर द्वारा विभिन्न ट्रेडिंग खातों का उपयोग किया गया था, इन संस्थाओं से कई निदेशक जुड़े हुए थे। कुल मिलाकर, 22 संस्थाएं इस ऑपरेशन में शामिल पाई गईं। 20 स्थानों पर सेबी की तलाशी और जब्ती कार्रवाई के बाद धोखाधड़ी का पूरा खेल सामने आया। अपने निष्कर्षों के आधार पर, सेबी ने केतन पारेख और रोहित सालगांवकर को भारतीय प्रतिभूति बाजारों में कारोबार करने से प्रतिबंधित कर दिया है। सेबी ने पारेख से जुड़ी 22 संस्थाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

अब आखिर में यह समझ लें, क्या होता है फ्रंट रनिंग?
फ्रंट रनिंग शेयर बाजार में कमाई का एक अवैध तरीका है। इसमें कोई ब्रोकर या ट्रेडर, बाजार की गोपनीय जानकारी का फायदा उठाकर लाभ कमाता है। फ्रंट रनिंग को बाजार में हेरफेर और अंदरूनी कारोबार का एक रूप माना गया है। फ्रंट रनिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति या संस्था किसी शेयर के बारे में गोपनीय जानकारी प्राप्त करती है, जैसे कि कंपनी के वित्तीय परिणामों या महत्वपूर्ण घोषणाओं के बारे में। इसके बाद, वे इस जानकारी का उपयोग करके शेयर बाजार में लाभ कमाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को पता चलता है कि एक कंपनी के वित्तीय परिणाम अच्छे होने वाले हैं, तो वह उस कंपनी का शेयर खरीद लेता है। जब परिणाम घोषित होते हैं और शेयर की कीमत बढ़ जाती है, तो ऐसे में शेयर खरीदने वाले को लाभ होता है। फ्रंट रनिंग अवैध है क्योंकि बाजार के सामान्य निवेशकों के साथ यह अनुचित व्यवहार है, क्योंकि उनके पास यह वित्तीय परिणामों से जुड़ी गोपनीय जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में जिन निवेशकों के पास सूचना उपलब्ध नहीं होती, उन्हें नुकसान का खतरा बना रहता है। इसके अलावा, फ्रंट रनिंग से शेयर बाजार की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। जब निवेशकों को लगता है कि बाजार में अनुचित व्यवहार हो रहा है, तो वे अपना विश्वास खो सकते हैं और बाजार से दूरी बना सकते हैं। यह तरह यह बाजार में बड़ी गिरावट का कारण भी बन सकता है।

कौन है केतन पारेख?
केतन पारेख का नाम 2000-2001 के दौरान भी सुर्खियों में रहा था। उस समय केतन जिस शेयर पर पैसा लगा देता वह शेयर रॉकेट बन जाता था और जो शेयर बेच देता था उसके भाव गिर जाते थे। केतन पारेख पेशे से एक चार्टेड अकाउंटेंट था और इसके परिवार वाले मार्केट से पहले जुड़े हुए थे। इसी समय केतन पारेख ने कई घोटाले किए थे, जिससे निवेशकों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। उस दौरान उसे और उसके सहयोगी रोहित सलगांवकर को जेल भी जाना पड़ा था। उस समय बाजार नियामक सेबी ने केतन पारेख पर कार्रवाई करते हुए उसे बाजार कारोबार करने से 14 सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।

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