सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकारी आवास खाली करने के पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया और उन्हें विपक्ष के नेता के लिए बने आवास में जाकर रहने का आदेश दिया. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की 3 सदस्यीय पीठ ने सरकार के फैसले को चुनौती देने और कोर्ट का समय खराब करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी ठोंक दिया.
लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के मौजूदा नेता तेजस्वी यादव ने पटना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ यह याचिका दायर की थी. कोर्ट ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के रहने के लिए आवंटित सरकारी आवास खाली करने के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.
इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने इसी साल 7 जनवरी को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को अपना सरकारी बंगला 5, देशरत्न मार्ग खाली करने का फरमान सुनाया था. हालांकि, आदेश के कुछ दिन तक तेजस्वी ने बंगला खाली नहीं किया था, लेकिन 9 जनवरी को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आनन-फानन में तेजस्वी यादव को आवंटित बंगला 1, पोलो रोड खाली कर दिया.
इस बंगला विवाद की शुरुआत 2017 में तब हुई जब सत्ता से बेदखल होने के बाद नीतीश सरकार ने तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित बंगला 5, देशरत्न मार्ग खाली करने को कहा और उसकी जगह उन्हें बतौर नेता प्रतिपक्ष 1, पोलो रोड बंगला आवंटित कर दिया. वहीं राज्य सरकार ने उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी जो उस वक्त 1, पोलो रोड बंगले में रहते थे, को बतौर उपमुख्यमंत्री 5, देशरत्न मार्ग बंगला आवंटित कर दिया, लेकिन इसके डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त गुजर जाने के बाद भी तेजस्वी यादव ने अपना बंगला अब तक खाली नहीं किया.
वहीं, तेजस्वी यादव अपना बंगला बचाने के लिए पटना हाई कोर्ट चले गए जहां डेढ़ साल तक लंबी लड़ाई के बाद भी उन्हें कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली और उनकी बंगला ना खाली करने की याचिका खारिज हो गई. कोर्ट में तेजस्वी की ओर से यह दलील दी गई कि उनके आवंटित बंगले में सुशील कुमार मोदी रह रहे थे इसीलिए वह उसमें कैसे रहने जाएं? उनकी इस दलील के बाद दबाव बनाने के लिए सुशील कुमार मोदी ने 1, पोलो रोड बंगला खाली कर दिया.