SC में सुनवाई शुरू, आधार अनिवार्य करना निजता का हनन तो नहीं?

SC में सुनवाई शुरू, आधार अनिवार्य करना निजता का हनन तो नहीं?

एक तरफ केंद्र सरकार लगातार आधार कार्ड को अलग-अलग सेवाओं के लिए अनिवार्य बनाने में जुटी हुई है, वहीं दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ कई याचिकाएं दाख‍िल की गई हैं. सु्प्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई शुरू कर दी है. इस दौरान कोर्ट में इस बात को लेकर बहस हो रही है कि आधार को अनिवार्य करना निजता का हनन है या नहीं.SC में सुनवाई शुरू, आधार अनिवार्य करना निजता का हनन तो नहीं?

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी , जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की संवैधानिक बेंच के सामने इस मामले की सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई ऐसे समय में हो रही है, जब आधार डाटा की सुरक्षा को लेकर देश में बहस छिड़ चुकी है.

इस बहस के बीच केंद्र सरकार भी अपना पक्ष मजबूत करने की कोश‍िश में जुटी हुई है. इसके लिए आधार को सुरक्ष‍ित बनाने की खातिर आधार अथॉरिटी लगातार नये-नये सिक्योरिटी लेयर तैयार कर रही है. आधार डाटा को सुरक्ष‍ित करने के लिए यूआईडीएआई वर्चुअल आईडी और फेस रिकगनिशन की सुविधा लाने की घोषणा कर चुका है.

वर्चुअल आईडी की सुविधा मार्च  से आ जाएगी. हालांकि जून से ही यह हर जगह इस्तेमाल की जा सकेगी. इसके साथ ही फेस रिकगनिशन की सुविधा 1 जुलाई से मिलनी शुरू हो जाएगी. यूआईडीएआई का दावा है कि इससे आधार की सुरक्षा और भी मजबूत होगी. 

दरअसल इसी महीने एक ऐसी रिपोर्ट छापी गई थी, जिसमें कहा गया था कि महज 500 रुपये देकर मात्र 10 मिनट में करोड़ों आधार कार्ड की जानकारी हासिल करना संभव हो रहा है. अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून ने एक तहकीकात की, जिसमें इस तरह की बातों का खुलासा हुआ है. ट्रिब्यून के अनुसार, उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपये में ये सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया.

दरअसल, उनकी तहकीकात में उन्हें एक एजेंट के बारे में पता लगा. जिसके बाद एजेंट ने मात्र 10 मिनट में एक गेटवे दिया और लॉग-इन पासवर्ड दिया. उसके बाद उन्हें सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और किसी भी व्यक्ति के बारे निजी जानकारी आसानी से मिल गई. इसके बाद 300 रुपये अधिक देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया. इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था.

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आधार डाटा की सुरक्षा को लेकर बहस ही छिड़ गई. यूआईडीएआई ने भी इस बहस के बीच आधार को और सुरक्ष‍ित करने के लिए वर्चुअल आईडी और फेस रिकगनिशन की सुविधा भी ला दी है.

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