जयनगर (बिहार) से अमृतसर के लिए चली सरयू-यमुना एक्सप्रेस (फ्लाइंग मेल) (Saryu-Yamuna Express) जालंधर पार करने के बाद सूरानुस्सी से आगे बढ़ी तो कोच एस-2 में धुआं उठने लगा। महज कुछ ही मिनटों में करतारपुर रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले ही यह आग एस-1 और एस-3 में भी पहुंच गई।
ट्रेन के करतारपुर पहुंचने पर जालंधर व करतारपुर की करीब आधा दर्जन गाडिय़ां आग पर काबू पाने के लिए पहुंची। राहत की बात यह थी कि इन तीनों कोचों में कोई भी यात्री नहीं था। वे अगले-पिछले कोच में जा चुके थे। करतारपुर स्टेशन पहुंचने पर सबसे पहले जले हुए तीन कोचों को ट्रेन से अलग किया गया और फिर अगली कार्रवाई शुरू की गई। आरपीएफ के एसएचओ हरविंदर सिंह ने बताया कि जलने वाले तीनों कोच में करीब 100 यात्री सवार थे।
ट्रेन को किन कारणों से आग लगी, पूरे मामले की जांच आरपीएफ के कमांडेंट बीएन मिश्रा करेंगे। एसएचओ आरपीएफ हरविंदर सिंह ने बताया कि घटना रात 10.30 बजे की है। इस दौरान बोगियों में यात्री नहीं थे। मौके पर फोरेंसिक टीम यात्रियों की जांच करने में जुट गई है।
एस-2 में सवार थे 12 यात्री
गाड़ी के एस-2 में सवार यात्री हरप्रीत सिंह (जिसने अमृतसर जाना था) ने बताया कि डिब्बे में करीब 12 यात्री सो रहे थे। उन्हें आग से सामान जलने की बदबू आई तो वे सतर्क हो गए। स्टेशन पहुंचे रेलवे अधिकारियों ने एस-2 में शामिल हरप्रीत समेत अन्य यात्रियों के बयान कलमबद्ध किए हैं।
दो घंटे बाद जालंधर से पहुंचा इंजन
करतारपुर रेलवे स्टेशन पर बर्निंग ट्रेन पहुंचने के करीब दो घंटे बाद जालंधर से इंजन करतारपुर पहुंचा तो जले हुए डिब्बों को अलग किया गया। करतारपुर पहुंचे यात्री अन्य दूसरी ट्रेनों व अन्य वाहनों के माध्यम से अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए।
एसएसपी मौके पर पहुंचे, तीनों डिब्बे सील
आग के कारणों को जांच करने के लिए सुबह ही फॉरेंसिक टीम ही पहुंच गई थी। टीम की तरफ इलेक्ट्रिक बॉक्स सहित नमूने लेकर चंडीगढ़ लैब में भेज दिए हैं। तीनों डिब्बों को सील कर दिया है। 24 घंटे की निगरानी के लिए आरपीएफ के जवानों को तैनात कर दिया गया है। इसके साथ-साथ वीडियो रिकॉर्डिंग करके भी भेजी जा रही है।एसएसपी देहाती नवजोत माहल भी मौका देखने के लिए पहुंचे। उन्होंने भी शंका जाहिर की है कि यह आग इलेक्ट्रिसिटी के शार्ट सर्किट से हो सकती है। फिलहाल जांच रिपोर्ट के बाद ही इसके कारणों के बारे में पता चल पाएगा।