कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) की कार्यप्रणाली, नीतियों और विचारधारा पर सवाल खड़े कर उसे घेरते रहे हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नई दिल्ली में हो रहे तीन दिवसीय मंथन शिविर के पहले दिन सोमवार को राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों पर विचार रखने के साथ-साथ राहुल गांधी द्वारा उठाए जा रहे हर सवाल का खुलकर जवाब दिया है.
राहुल का सवाल– संघ के दरवाजे महिलाओं के लिए बंद हैं. एक महिला आरएसएस में नहीं जा सकती. संघ की विचारधारा है कि देश को केवल पुरुष चला सकते हैं. पुरुष आगे, महिलाएं पीछे.
भागवत का जवाब- डॉ. हेडगेवार के समय ही यह तय हुआ था कि राष्ट्र सेविका समिति महिलाओं के लिए संघ के समानांतर कार्य करेगी. इस सोच में बदलाव की जरूरत यदि पुरुष व महिला संगठन दोनों ओर से महसूस की जाती है तो विलय का विचार किया जा सकता है अन्यथा यह ऐसे ही चलेगा.
राहुल का सवाल- संघ बीजेपी को रिमोट कंट्रोल के जरिए चलाता है.
भागवत का जवाब- संघ का स्वयंसेवक क्या काम करता है, कैसे करता है, यह तय करने के लिये वह स्वतंत्र है. संघ केवल यह चिंता करता है कि बीजेपी गलती न करे. इसके लिए समन्वय बैठक होती है कि स्वयंसेवक विपरीत परिस्थितियों में अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं. ऐसे में उनके पास कुछ सुझाव भी होते हैं. वे अपने सुझाव देते हैं, उस पर अमल होता है या नहीं होता इससे उन्हें मतलब नहीं.
राहुल का सवाल- आरएसएस भारत की प्रकृति को बदलने की कोशिश कर रहा है. संघ के अलावा दूसरा कोई संगठन भारत की संस्थाओं पर कब्जा या हमला करने की कोई कोशिश नहीं करता.
भागवत का जवाब- भारतीय समाज विविधताओं से भरा है, किसी भी बात में एक जैसी समानता नहीं है, इसीलिए विविधताओं से डरने की बजाए, उसे स्वीकार करना और उसका उत्सव मनाना चाहिए. अगर संघ के प्रभुत्व के कारण कोई बदलाव होगा तो यह संघ की पराजय होगी. हिंदू समाज की सामूहिक शक्ति के कारण समाज में बदलाव आना चाहिए.
राहुल का सवाल- देश में संघ अपनी विचारधारा को थोपना चाहता है. वह तानाशाही संगठन है.
भागवत का जवाब- आरएसएस सबसे अधिक लोकतांत्रिक संगठन है. संघ ना तो किसी पर अपनी विचारधारा थोपता है और ना ही अपने संबद्ध संगठनों को दूर से बैठकर चलाता है. हमारे देश में इतने सारे विचार हैं, लेकिन इन सारे विचारों का मूल भी एक है और प्रस्थान बिंदु भी एक है. संघ का काम पूर्ण समाज को जोड़ना है.