RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- ‘राम मंदिर हर हिन्दुस्तानी का विचार’

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को दो टूक शब्दों में स्थिति साफ की। कहा कि श्रीराम हमारे आराध्य है। राम मंदिर अयोध्या में ही बने, यह विचार हर हिन्दुस्तानी का होना चाहिए। राम मंदिर हिन्दू संस्कृति का आधार है। मंदिर निर्माण होने से विश्व में हिंदुत्व की पहचान स्थापित होगी।

संघ मुख्यालय में राज्य के पूर्व मुख्य सचिवों से वार्ता में मोहन भागवत ने कहा कि भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के स्थान को लेकर कहीं कोई संशय नहीं है। मंदिर तय स्थान पर ही बने, ये सभी हिंदुस्तानियों का विचार है। उन्होंने कहा कि हिंदू और संघ के दृष्टिकोण में कहीं कोई अंतर नहीं है। जाति और भाषा के आधार पर कहीं कोई भेद नहीं है। संघ का कार्य सृजन शक्ति का निर्माण करना है।

संघ में आकर संघ को समझें
एक पूर्व मुख्य सचिव ने कहा कि संघ एक रहस्य है और इस पर एक पर्दा क्यों गिरा हुआ है। इस पर मोहन भागवत ने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। संघ को समझने के लिए संघ के भीतर रहकर ही समझना पड़ेगा। संघ का मूल काम नागरिक के कर्तव्यों का जागरण करना है।

परिवार में राष्ट्र और मातृभाषा का प्रयोग करें
सरसंघचालक ने कहा संघ के सभी कार्य हिंदी भाषा में ही होते हैं। हम सभी को अपने परिवार में राष्ट्रभाषा, मातृभाषा का ही प्रयोग करना चाहिए। जैसे अरुणाचल प्रदेश में रामकृष्ण मिशन ने हिंदी में कार्य किया| इसके कारण यहां के लोग हिंदी ही बोलते हैं। ऐसा ही कार्य अन्य प्रांतों में भी होना चाहिए।

नक्सल क्षेत्रों में संघ का शांति अभियान
मोहन भागवत ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संघ लगातार सामाजिक काम कर रहा है। बिहार रानीगंज में नक्सलियों के बच्चों के लिए स्कूल बनाए गए। गड़चिरोली महाराष्ट्र में सीआरपीएफ के जवान नक्सल प्रभावित गांव में ग्रामीणों से ही सामान खरीदते हैं। मजदूरी भी गांव वालों से कराते हैं। उन्हें पैसा भी देते हैं। इससे इलाके में रोजगार के अवसर बड़े हैं। इससे लोगों की परेशानी थोड़ी कम हुई है।

सामाजिक समरसता से दूर होगा जातिगत संघर्ष
संघ प्रमुख ने कहा कि सामाजिक समरसता के जरिए ही समाज में जातिगत संघर्ष दूर होगा। इसके लिए शाखाओं के माध्यम से हर व्यक्ति के लिए मंदिर प्रवेश, शमशान एक व पानी एक का भाव जगाना होगा। ताकि समाज में सामजिक समरसता स्थापित हो। जातिगत संघर्ष समाप्त हो। सभी में आपस में समानता बनी रहे। इसके लिए लगातार सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।

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