सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बोर्ड ने केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये देने की मंजूरी दे दी। RBI के बयान के अनुसार, इसमें से 1.23 लाख करोड़ रुपये लाभांश है और 526.4 अरब रुपये सरप्लस कैपिटल है।
लाभांश में केंद्र सरकार को फरवरी में दिया गया 280 अरब रुपये का डिविडेंड भी शामिल है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब बड़ा सवाल यह है कि सरकार 1.76 लाख करोड़ रुपये का इस्तेमाल कहां करेगी? इससे अपनी उधारी घटाएगी या फिर तेजी से सुस्ती की तरफ बढ़ रही अर्थव्यवस्था के लिए राहत उपलब्ध कराएगी।
RBI से भारत सरकार को ऐसे समय में धन मिल रहा है जब देश की ग्रोथ रेट पांच साल के न्यूनतम स्तर पर है, उपभोक्ताओं का खर्च घट गया है और ऐसी रिपोर्ट भी सामने आ रही है कि ऑटो उद्योग में हजारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्रोथ की रफ्तार बढ़ाने के लिए पिछले हफ्ते कई उपायों की घोषणा की थी जिनमें सरकारी बैंकों में पूंजी डालना भी शामिल था। साथ ही वह राजकोषीय घाटे को भी जीडीपी के 3.3 फीसद पर रखने का प्रयास कर रही हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय RBI से मिलने वाले पैसों से बजटीय उधारी कम करना चाहता है। हालांकि, अभी इस बात पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है कि इन पैसों को कैसे खर्च किया जाए। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अपनी योजनागत उधारी घटा सकती है अगर इस फंड का इस्तेमाल बजट के रेवेन्यू शॉर्टफॉल को कम करने के लिए किया जाता है। इससे वित्त मंत्री को घाटे को नियंत्रण में रखने में मदद मिलेगी। या फिर, इस फंड का इस्तेमाल नए खर्चे जैसे- राहत पैकेज – आदि पर किया जा सकता है जिससे ग्रोथ को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
ब्लूमबर्ग ने नोमुरा की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि सरकार आरबीआई से मिले लाभांश का इस्तेमाल संभवत: रेवेन्यू शॉर्टफॉल को घटाने के लिए कर सकती है। राहत पैकेज की तुलना में इसकी संभावना ज्यादा प्रबल है।