RBI लोन पर बंदिशें करेगा इस कारण कम

केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ मामलों में नीतिगत मतभेद दूर कर लिए हैं। इन मसलों पर हुई चर्चा से जुड़े दो सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि दोनों पक्ष आपसी तनाव दूर करना चाहते हैं, ताकि निवेशकों को इत्मीनान हो सके। ऐसे संकेत हैं कि रिजर्व बैंक छोटे-मझोले उद्योगों को लोन के नियमों में कुछ ढील देगा।

हालांकि सूत्रों ने यह भी बताया कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच तमाम मसलों को लेकर मतभेद पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं, लेकिन इतना जरूर है कि अगले हफ्ते सोमवार को होने वाली आरबीआई के निदेशक मंडल (बोर्ड) की बैठक में टकराव की स्थिति से बचने की दिशा में काफी प्रगति हुई है।

सूत्रों ने बताया कि कुल मिलाकर स्थिति यह है कि अब इस बात की आशंका कम रह गई है कि सरकार के रवैये से परेशान होकर रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल इस्तीफा दे दें, जैसा कि पिछले हफ्ते कुछ अखबारों की रिपोर्ट में अटकलें लगाई गईं थी।

छोटी-मझोली कंपनियों को मिल सकती है राहत

सूत्रों के मुताबिक आरबीआई सार्वजनिक क्षेत्र के करीब आधे बैंकों पर लोन देने को लेकर लगाई गई बंदिशें कम कर सकता है, ताकि अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाई जा सके जैसा कि सरकार चाहती है। एक सूत्र ने बताया कि छोटी-मझोली कंपनियों (एसएमई) को आसानी से लोन मिल सके, यह पक्का करने के लिए आरबीआई बैंकों पर लगाई गई पाबंदियां कम करने के लिए तैयार हो सकता है। हालांकि इस मामले में लोन की सीमा 25 करोड़ रुपए होगी। संपर्क करने पर न तो रिजर्व बैंक ने और न ही वित्त मंत्रालय ने इस मामले में कोई टिप्पणी की। प्रधानमंत्री के कार्यालय (पीएमओ) ने भी कुछ कहने से इनकार कर दिया।

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच तनाव कम करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कितनी भूमिका रही है। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले हफ्ते पटेल ने मोदी से मुलाकात की थी। उनकी कोशिश थी कि सरकार के साथ विवादित मसलों पर कोई बीच का रास्ता निकाला जाए। लेकिन, पीएमओ और आरबीआई के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इस तरह की किसी मुलाकात की जानकारी नहीं है। मोदी ने ही साल 2016 में पटेल को रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर नियुक्त किया था, जिनका तीन वर्ष का कार्यकाल अगले साल सितंबर में खत्म होगा।

कई हफ्तों से आरबीआई पर दबाव

पिछले कई हफ्तों से केंद्र सरकार के अधिकारी अपनी कुछ मांगे मनवाने के लिए रिजर्व बैंक पर दबाव बना रहे हैं। लोन देने के कड़े नियमों को आसान बनाना और अतिरिक्त नकदी सरकार को देना इनमें शामिल है। इसके आहत होकर रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले महीने चेतावनी दी थी कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता पर चोट करना घातक साबित हो सकता है। इसके बाद सरकार और आरबीआई के बीच का तनाव सार्वजनिक हो गया था।

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