RBI ने हाल ही में रेपो रेट में इजाफा किया है. आरबीआई की ओर से REPO Rate में 0.50 फीसदी यानी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई है. जिसका असर अब आम लोगों की जेब पर पड़ने वाला है. इसके साथ ही अब ICICI Bank और PNB ने बड़ा कदम उठाया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक समीक्षा निति की बैठक में कई बड़े फैसले लिए हैं. इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी यानी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी. माना जा रहा था कि इस ऐलान के बाद लोगों पर EMI का बोझ बढ़ेगा. इसके साथ ही आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और पीएनबी (PNB) ने लोन देने की रेट बढ़ा दी है. इसके साथ ही लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा. आरबीआई ने रेपो रेट को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया. यह मई के बाद से तीसरी वृद्धि है. ताजा वृद्धि के साथ रेपो दर या अल्पकालिक उधारी दर महामारी से पहले के स्तर 5.15 प्रतिशत को पार कर गई है.
PNB और ICICI Bank का ऐलान
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से मानक ब्याज दर में 0.50 फीसदी बढ़ोतरी के बाद आईसीआईसीआई बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भी कर्ज देने की दर बढ़ा दी है. आरबीआई ने शुक्रवार को ब्याज दर 0.5 फीसदी बढ़ा दी जिससे रेपो दर तीन वर्ष के उच्चतम स्तर 5.40 फीसदी पर पहुंच गई. आईसीआईसीआई बैंक ने एक सूचना में कहा कि आईसीआईसीआई बैंक आई-ईबीएलआर को आरबीआई की नीतिगत दर से संदर्भित किया जाता है. बैंक ने कहा, ‘‘आई-ईबीएलआर 9.10 फीसदी वार्षिक और प्रतिमाह देय है. यह पांच अगस्त, 2022 से प्रभावी होगी.’’
इतनी की बढ़ोतरी
सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक ने भी दर में वृद्धि की है. इसकी जानकारी देते हुए बैंक ने कहा, ‘‘आरबीआई द्वारा रेपो दर बढ़ाने के बाद रेपो से संबंधित कर्ज दर (आरएलएलआर) को भी 7.40 फीसदी से बढ़ाकर 7.90 फीसदी किया गया है जो आठ अगस्त, 2022 से प्रभावी होगी. इसके साथ ही लोगों को बढ़ी हुई ईएमआई के कारण एक्स्ट्रा पैसे देने होंगे. बता दें कि रेपो दर पर ही वाणिज्यिक बैंक केंद्रीय बैंक से उधार लेते हैं.
बाजारों में वित्तीय स्थिरता
रेपो रेट को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि इस कदम से मुद्रास्फीति को नीचे लाने और बाजारों में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने नीतिगत फैसले को नए वैश्विक रुझानों के अनुरूप बताया. उन्होंने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति के प्रति आक्रामक रुख अपनाया, जो अभी भी ऊंची बनी हुई है. हालांकि, वृद्धि की गति काफी सकारात्मक है.