भारतीय रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट 31 मार्च, 2024 (वित्त वर्ष 24) में सालाना आधार पर 11.08 फीसदी बढ़कर 70.47 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई। नकदी और विदेशी मुद्रा संचालन से रिजर्व बैंक को बैलेंस सीट मजबूत करने में मदद मिली। इसके एक साल पहले रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट 63.44 लाख करोड़ रुपए की थी।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 24 की सालाना रिपोर्ट में बताया कि मार्च 2024 की समाप्ति पर बैंक की बैलेंस शीट बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 24.1 फीसदी तक हो गई जबकि यह मार्च 2023 की समाप्ति पर 23.5 फीसदी थी। बैलेंस शीट अब कोविड महामारी के पूर्व के स्तर पर पहुंच गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट कई तरह की गतिविधियों को दर्शाती है। इनमें मुद्रा को जारी करना, मौद्रिक नीति और रिजर्व प्रबंधन के उद्देश्य शामिल हैं। मार्च 2024 की समाप्ति पर केंद्रीय बैंक की कुल आय में सालाना आधार पर 141.22 फीसदी का जबरदस्त उछाल आया। यह खर्च में तेजी से गिरावट और विशेषतौर पर कम प्रावधान के कारण हुई।
वित्त वर्ष 24 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई का व्यय सालाना आधार पर 56.29 फीसदी गिरकर 64,694.33 करोड़ रुपए रह गया। इसमें आकस्मिक निधि (सीएफ) में किया गया 42,819.91 करोड़ रुपए का प्रावधान भी शामिल है। आकस्मिक निधि में 42,819.91 करोड़ रुपए स्थानांतरण का मतलब यह है कि यह प्रतिभूतियों के मूल्य में हृास और मौद्रिक व विदेशी मुद्रा के जोखिम से बचने की सुरक्षा के लिए था। वित्त वर्ष 23 में इस मद में 1.30 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था।
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2024 को आकस्मिक निधि का बैलेंस 4,28,621.03 करोड़ रुपए था जबकि यह 31 मार्च, 2023 को 3,51,205.69 करोड़ रुपए था। वित्त वर्ष 24 में केंद्र सरकार को 2.10 लाख करोड़ रुपए का अधिशेष स्थानांतरित करने का फैसला किया गया है, जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 87,416.22 करोड़ रुपए था।