न भूतो ना भविष्यति की तर्ज पर रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर काशी दीपावली मनाएगी। काशी के देव अयोध्या में विराजमान होने वाले रामलला की अगवानी करेंगे। इस दौरान मंदिरों के शहर का हर मंदिर राममय हो जाएगा। 15 जनवरी से आयोजन की शृंखला शुरू होगी और 30 जनवरी तक चलेगी।
सनातनधर्मियों के घरों की चौखट से लेकर गंगा के तट 15 लाख दीपों से जगमग होंगे। काशीपुराधिपति की नगरी में उनके आराध्य के विराजमान होने के उत्सव की तैयारियों के रंग बिखरने लगे हैं। देव दीपावली के बाद भगवान शिव के आराध्य की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव भी भव्य होगा।
देव दीपावली की तर्ज पर घर, मंदिर और घाटों का सजाया जाएगा। अतिथियों को आमंत्रण के साथ ही 22 जनवरी की तारीख को यादगार बनाने की तैयारियां भी चल रही है। हर मंदिर राम मंदिर और घर-घर दीपोत्सव की तर्ज पर तैयारियों को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक के अनुषांगिक संगठनों को काशी के संत, पद्म अवार्डी और रामजन्मभूमि आंदोलन से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष जुड़े लोगों को आमंत्रण की जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। काशी से 150 लोगों की सूची तैयार हो चुकी है और आमंत्रण भी उनके पास पहुंचने लगे हैं।
इसमें 70 महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, संत व संन्यासी के साथ ही शहर के पद्म पुरस्कार से सम्मानित विशिष्टजनों को आमंत्रित किया गया है। खरमास समाप्ति के बाद 15 जनवरी से रामलला के प्राणप्रतिष्ठा समारोह के आयोजन भी काशी में शुरू हो जाएंगे।
घर की चौखट से गंगा के तट तक दीपों से रौशन करने के लिए सामाजिक, धार्मिक और हिंदूवादी संगठनों ने जनसंपर्क शुरू कर दिया है। कुछ सामाजिक संगठनों की ओर से शोभायात्रा का भी आयोजन करने की योजना है।
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि घर-घर राम का नाम गूंजेगा। अयोध्या के साथ ही काशी में भी इस दौरान 15 दिनों तक उत्सव सरीखा माहौल रहेगा। शहर के सभी मंदिरों को सजाया जाएगा और रामायण का पाठ भी होगा।
राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वालों को दी श्रद्धांजलि
राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वालों को बुधवार की शाम को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। अस्सी घाट पर आयोजित गंगा आरती के दौरान आंदोलन में मरने वालों की आत्मा की शांति की कामना की गई। अर्चकों एवं श्रद्धालुओं ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इसके बाद मां गंगा की आरती संपन्न हुई।
रामलला के आंगन में सबसे पहले विराजेगा लंकेश का परिवार
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले रघुनंदन के आंगन में काशी में तैयार लंकेश का परिवार विराजमान होगा। अयोध्या के संग्रहालय में लकड़ी के पात्रों से रामायण को जीवंत करने की पहल की जा रही है। इस संग्रहालय में काशी में बनकर तैयार बिस्तर पर लेटे कुंभकरण की ढाई फीट की लकड़ी की मूर्ति सबसे पहले स्थापित होगी। इसके बाद लंकापति और मेघनाथ के मुखौटे लगाए जाएंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले काशी से रामदरबार अयोध्या भेजा जाएगा और प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ही संग्रहालय में इन्हें विराजमान कराया जाएगा।
15 दिसंबर से रामचरित मानस को जीवंत करने वाले पात्रों के मुखौटे और मूर्तियों को अयोध्या भेजने का सिलसिला शुरू होगा। इसमें सबसे बड़ी मूर्ति कुंभकरण की तैयार हुई है। मूर्तियों को तैयार करने वाले बिहारी लाल ने बताया कि भगवान राम की मूर्ति रावण की मूर्ति से छोटी है। राम की मूर्ति 18 बाई आठ इंच की है, जबकि रावण की मूर्ति 36 बाई 24 इंच की है। मुखौटों और मूर्तियों में भाव की प्रधानता होती है। इसे ध्यान में रखते हुए मुखौटों का निर्माण हो रहा है।
खाद्य सामानों और शोर के बीच दर्शाया गया कुंभकरण को
कुंभकरण को खाद्य सामग्रियों और शोर के बीच दर्शाया गया है। मानस के प्रसंग के अनुसार रावण का भाई कुंभकरण छह माह सोता और छह माह जागता था। इसलिए उसे सोए हुए खाद्य सामग्री के बीच दिखाया गया है। रावण और मेघनाथ के मुखौटे उग्रता के भाव को समेटे हुए प्रदर्शित किए गए हैं।