किफायती आवास 100 से 110 गज के क्षेत्र में बनाए जाते हैं। कम कीमत व एरिया को ध्यान में रखते हुए ही इनका निर्माण किया जाता है। इसके चलते इसके साथ ईडब्ल्यूएस मकान बनाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। यही कारण है कि इस शर्त को हटाने की सिफारिश की गई है।
पंजाब सरकार राज्य में डेवलपर और बिल्डरों को किफायती आवास के निर्माण के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए राहत देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार पंजाब किफायती आवास नीति में बदलाव करेगी।
राज्य में किफायती आवास बनाने के लिए फिलहाल ईडब्ल्यूएस मकान बनाने की शर्त है, जिसे खत्म कर दिया जाएगा। इसी तरह कम प्लॉटिंग क्षेत्र में भी किफायती आवास का निर्माण हो सकेगा। राज्य में जमीन की कमी के कारण सरकार यह अहम बदलाव करने जा रही है, ताकि लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए किफायती आवास प्रदान किए जा सकें और अवैध कॉलोनियों की प्रक्रिया पर भी रोक लग सके। इसके अलावा बिक्री योग्य क्षेत्र को भी बढ़ाया जाएगा। नीति में बदलाव का प्रस्ताव स्थानीय निकाय विभाग ने मुख्य सचिव को भेज दिया है। इस पर जल्द ही फैसला लिया जा सकता है।
राज्य सरकार ने पंजाब किफायती आवास नीति जारी की थी। इसमें यह प्रावधान था कि कुल अपार्टमेंट में से 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस मकान बनाने जरूरी हैं। इसके अलावा प्लॉटों में भी इतना ही प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन अब इस शर्त को हटाने की तैयारी की जा रही है।
विभाग के अनुसार किफायती आवास 100 से 110 गज के क्षेत्र में बनाए जाते हैं। कम कीमत व एरिया को ध्यान में रखते हुए ही इनका निर्माण किया जाता है। इसके चलते इसके साथ ईडब्ल्यूएस मकान बनाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। यही कारण है कि इस शर्त को हटाने की सिफारिश की गई है। इसी तरह फिलहाल बिल्डरों के लिए 3 प्रतिशत जगह सामुदायिक केंद्र के लिए छोड़ना अनिवार्य है, लेकिन अब इसे भी खत्म कर दिया जाएगा।
स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक उमा शंकर गुप्ता ने बताया कि किफायती आवास नीति में कुछ बदलावों की सिफारिश की गई है, जिसे मंजूरी के लिए मुख्य सचिव को भेजा हुआ है।
किफायती आवास के लिए अधिक क्षेत्र की नहीं होगी जरूरत
इसके अलावा कम प्लॉटिंग क्षेत्र में भी किफायती आवास का निर्माण किया जा सकेगा। विभाग ने प्लॉटिंग एरिया की शर्त को कम करने की सिफारिश की है। फिलहाल 5 एकड़ प्लॉटिंग क्षेत्र निर्धारित किया गया है, जिसे कम करके अब डेढ़ एकड़ किया जाएगा। इसके अलावा ग्रुप हाउसिंग के लिए भी अब 2 की जगह आधा एकड़ करने का प्रस्ताव है, जिससे अब किफायती आवास के निर्माण के लिए बिल्डरों को अधिक भूमि की जरूरत नहीं होगी।
इसी तरह बिक्री योग्य क्षेत्र को भी बढ़ाया जा रहा है। फिलहाल नीति में बिक्री योग्य क्षेत्र 60 प्रतिशत तय किया गया है। अब इसे बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। बाकी के क्षेत्र को पार्कों, सड़कों व अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए छोड़ना होगा। जमीन की कमी से निपटने के लिए ही ये सिफारिश की गईं हैं।
लगातार बढ़ रहीं अवैध कॉलोनियां
पंजाब सरकार का किफायती आवास नीति लाने का प्रमुख मकसद अवैध कॉलोनियों की प्रक्रिया पर रोक लगाना था, लेकिन सरकार अपने मकसद में सफल नहीं हुई। प्रदेश में लगातार अवैध कॉलोनियों में बढ़ोतरी हो रही है। दो दशक में सूबे में दो हजार से अधिक अवैध कॉलोनियां बन गईं हैं। विभाग का तर्क है कि नीति में बदलाव से अधिक बिल्डर किफायती आवास बनाने के लिए आगे आएंगे और अवैध कॉलोनियों की प्रक्रिया पर भी रोक लगेगी।