जम्मू में एक पुस्तक विमोचन समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए। जम्मू-कश्मीर में 4-जी मोबाइल इंटरनेट सेवा को बहाल करने की अपील भी की। इसी दौरान उन्होंने कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुए हालातों का जिक्र करते हुए एक ऐसी बात कही कि लोग ठहाके लगाने पर मजबूर हो गए।
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने किताब विमोचन समारोह में कहा कि कोरोना वायरस ने बड़ी अजीब स्थिति पैदा कर दी है। जब से यह महामारी आई है तब से उन्होंने अपनी पत्नी का चुंबन तक नहीं लिया है। उनके इतना कहते ही वहां मौजूद लोग ठहाके लगाकर हंस पड़े।
इसके बाद फारूक ने कहा कि स्थिति यह है कि कोई भी हाथ मिलाने या गले लगने तक से डरता है। यहां तक कि मैं अपनी पत्नी का चुंबन तक नहीं ले सकता। गले लगने का तो सवाल ही नहीं है। मैं बिल्कुल सही कह रहा हूं। इस पर वहां मौजूद लोग ठहाके लगाकर हंसने लगे।
बता दें कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला जम्मू में गुज्जर देश चैरिटेबल ट्रस्ट में बाबा गुलाम शाह बादशाह विश्वविद्यालय राजोरी के पूर्व कुलपति मसूद अहमद चौधरी की आत्मकथा के पुस्तक विमोचन समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह जम्मू-कश्मीर में 4-जी मोबाइल इंटरनेट सेवा को बहाल करें।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अगर अपनी कुर्सी छोड़कर जम्मू-कश्मीर में रहें तो उन्हें पता चलेगा कि यहां के लोग 2 जी मोबाइल इंटरनेट सेवा से किस तरह मुश्किलों से घिरे हैं। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में 2-जी मोबाइल इंटरनेट सेवा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री भारत में जल्द 5-जी इंटरनेट की बात कर रहे हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों को 4जी मोबाइल इंटरनेट भी उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है।
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा 28 हजार करोड़ के पैकेज की बात हो रही है। पहले हमें यह बताया जाए कि 80 हजार करोड़ के पैकेज का क्या हुआ। यह पैसा कहां गया। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे आए दिन बंद रहता है। कश्मीर में लोगों को कड़ाके की ठंड में भारी परेशानी है। बिजली की भारी किल्लत है। पेट्रोल और डीजल की किल्लत है। खाद्य पदार्थों की कमी हो गई है।
उन्होंने कहा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2007 में कश्मीर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने की बात की थी। मोदी सरकार अब 2022 तक यह वादा कर रही है। उम्मीद है कि 2040 से पहले यह लिंक बन जाएगा, लेकिन तब हम नहीं होंगे। कोरोना वैक्सीन पर अब्दुल्ला ने कहा वह आशा करते हैं कि वैक्सीन अभियान सफल हो ताकि लोग कोरोना वायरस से मुक्ति पा सकें।
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कुछ लोग उर्दू को मुस्लिमों की भाषा के रूप में देखते हैं। ऐसा नहीं है उर्दू भारत की एक भाषा है और इसका प्रचार प्रसार और तेज होना चाहिए। जब हम नहीं होंगे तब भी उर्दू भाषा होगी। उन्होंने कहा गुज्जरों की हालत सुधरी नहीं है। वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं और शैक्षणिक रूप से भी पिछड़े हुए हैं। इनको बेहतर शिक्षा मिले और आर्थिक स्थिति मजबूत हो इसके लिए सबको मिलकर काम करना होगा।