केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है सरकार की ओर से कर्मचारियों के शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश के खुलासे की लिमिट बढ़ा दी है. अब यह अब लिमिट बढ़कर कर्मचारियों के छह माह के मूल वेतन के बराबर होगी.
इस संबंध में गुरुवार को कार्मिक मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई. मंत्रालय ने इस बारे में केंद्र सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी किया है. बता दें कि सरकार के इस फैसले के बाद करीब 27 साल पहले की मौद्रिक सीमा नियम में बदलाव होगा.
पहले के नियमों के मुताबिक ग्रुप ए और ग्रुप बी के अधिकारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक कैलेंडर साल में 50,000 रुपये से अधिक का लेनदेन करने पर उसका ब्यौरा देना होता था. वहीं ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों के लिए यह लिमिट 25,000 रुपये थी.
लेकिन नए नियम के बाद कर्मचारी अपने निवेश की सूचना तभी देंगे जब एक कैलेंडर साल में यह निवेश उनके छह माह के मूल वेतन को पार कर जाएगा.
क्यों हुआ फैसला
अधिकारियों के मुताबिक सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में इजाफा हुआ है. ऐसे में लिमिट की सीमा बढ़ाने का फैसला लिया गया है. प्रशासनिक अधिकारी ट्रांजेक्शन पर निगाह रख सकें इसके लिए सरकार ने कर्मचारियों को ब्योरा साझा करने का प्रारूप जारी किया है.
क्या है सर्विस नियम
नियम के मुताबिक कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी शेयर या अन्य निवेश में सटोरिया गतिविधियां नहीं कर सकता है. इसके अलावा अगर किसी कर्मचारी द्वारा शेयरों, प्रतिभूतियों और अन्य निवेश की बार-बार खरीद बिक्री की जाती है तो उसे सटोरिया गतिविधि माना जाएगा. कभी-कभी शेयर ब्रोकर या किसी अन्य अधिकृत व्यक्ति के जरिये किए जाने वाले निवेश की अनुमति है.