PM मोदी खुद राफेल विमानों को भारतीय सेना में शामिल कराने के औपचारिक समारोह में शामिल होगे

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर फ्रांस से खरीदे गए फाइटर प्लेन राफेल का पांच विमानों का बेड़ा आज लैंड कर गया है. सालों से चल रही लंबी खरीद प्रक्रिया जब फाइलों में फंसती दिख रही थी तब पीएम मोदी ने खुद पहल की और डील को फाइनल कराकर राफेल की जल्द डिलीवरी सुनिश्चित कराई.

विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर पीएम को घेरता आ रहा है लेकिन रक्षा के जानकार जानते हैं कि राफेल का भारत में आना भारतीय वायुसेना की ताकत को किस कदर बढ़ाएगा और दुश्मन देशों पर भारतीय सेना को कैसे बढ़त दिलाएगा.

ये मोदी के उस शक्तिशाली भारत की तस्वीर है जिसका सपना वो 2014 के चुनाव से पहले से देश की जनता को दिखा रहे हैं. बताया जाता है कि पीएम मोदी खुद इन विमानों के सेना में शामिल होने के औपचारिक समारोह में शामिल हो सकते हैं. तारीखें तय की जा रही हैं.

दूसरी ओर अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए पांच अगस्त को भूमि पूजन किया जाना है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे. भव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना बीजेपी तीन दशकों से दिखा रही है लेकिन लोगों को इसे लेकर सबसे ज्यादा भरोसा उस समय जगा जब मई 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने.

राम मंदिर का रास्ता भले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हुआ हो लेकिन बीजेपी समर्थक इसके श्रेय के सवाल पर ‘मोदी है तो मुमकिन है’ ही कहते आ रहे हैं. 5 अगस्त की दोपहर जब प्रधानमंत्री मंदिर का भूमि पूजन करेंगे तो ये सिर्फ मंदिर निर्माण की ही शुरुआत नहीं होगी बल्कि गौरवशाली भारत की उस इमारत की नींव भी रखी जाएगी जिसका सपना मोदी दिखाते आए हैं.

ये दोनों ही मुद्दे ऐसे रहे हैं जिनमें मोदी सरकार विपक्ष को पस्त कर चुकी है. राफेल पर चौकीदार चोर है का कांग्रेसी नारा आम चुनाव में टांय-टांस फुस्स हो गया. राम मंदिर आंदोलन को लेकर बीजेपी पर तमाम आरोप लगे लेकिन अब मंदिर निर्माण से पार्टी ने साबित कर दिया है कि उसकी राजनीति सही दिशा में थी. नतीजा ये है कि न तो राफेल और न राम मंदिर पर विपक्ष कुछ बोलने की स्थिति में है.

वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर कहते हैं कि मौजूदा समय में मोदी सरकार अर्थव्यवस्था से लेकर चीन तक के मुद्दे पर घिरी हुई है. पिछले 6 साल में जब-जब सरकार घिरी है तब-तब मोदी ने भावनात्मक मुद्दों को ढाल बनाकर जबर्दस्त वापसी की है. राफेल और भूमि पूजन के जरिए निश्चित तौर पर पीएम मोदी विपक्ष के सवालों को फिलहाल बेअसर कर देंगे, लेकिन ये बहुत दिन तक नहीं चलेगा, क्योंकि विपक्ष के मुद्दे वास्तविक और लोगों से जुड़े हुए मुद्दे हैं.

शकील अख्तर कहते हैं कि पिछले एक साल में मोदी ने 370, तीन तलाक, सीएए और राममंदिर जैसे अहम मुद्दे को हल करने का काम किया है. मोदी अपनी राजनीति के शिखर पर हैं, लेकिन अगले चार साल में उन्हें देश को वास्तविक रूप से शक्तिशाली और गौरवशाली बनाने की दिशा में काम करना होगा. प्रतीकात्मक राजनीति से सियासी फायदा तो मिलेगा लेकिन देश को शक्तिशाली बनाने के लिए शिक्षा, रोजगार और अर्थव्यवस्था को मजबूती देनी होगी.

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार केजी सुरेश कहते हैं कि राफेल की डिलीवरी पहले से तय थी और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर का निर्माण भी होना ही था. यह इत्तेफाक है कि राफेल और भूमि पूजन की तारीख एक सप्ताह के अंदर पड़ गई. केजी सुरेश इंदिरा गांधी की याद दिलाते हुए कहते हैं कि 1982 में देश में एशियाई खेल होने थे. इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं. पत्रकारों ने इंदिरा गांधी ने पूछा था कि देश में गरीबी और अशिक्षा के बीच एशियाड कराना कितना ठीक है? इस पर इंदिरा गांधी ने जवाब देते हुए कहा था कि क्या खेलकूद बंद कर देना चाहिए. जीवन धारा प्रवाह चलता रहता है.

के जी सुरेश कहते हैं कि देश की सीमा पर आज दोनों ओर से खतरे हैं और ऐसे में राफेल डिलीवरी राष्ट्र के लिए गौरव की बात है. कोर्ट का फैसला आने के बाद राममंदिर का निर्माण शुरू होना देश के लिए गौरव की बात है. इसका राजनीतिक फायदा कितना और किसे होगा ये बात मायने नहीं रखती. विपक्ष की जहां तक बात है यह उसे समझना होगा कि जिन मुद्दों को वह उठा रहा है उसे क्यों अहमियत नहीं मिल रही है.

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