वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दावोस सम्मेलन में पीएम मोदी के भाषण की तारीफ हो रही है. आखिर 20 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने दावोस के वैश्विक मंच पर लोगों को संबोधित किया और कई प्रमुख मसलों पर बात की. पीएम मोदी के सामने यह साफ एजेंडा तो था ही कि भारत की आर्थिक ताकत को दुनिया के सामने पेश करें, साथ ही ऐसा लगता है कि उनकी नजर देश में होने वाले 2019 के चुनावों पर भी थी और वह इस मंच का इस्तेमाल अपनी घरेलू जनता को भी संदेश देने के लिए करना चाहते थे.
गौरतलब है कि दुनिया के सामने पीएम मोदी भले ही देश की गुलाबी आर्थिक तस्वीर पेश कर रहे हों, लेकिन घरेलू स्तर पर उन्हें रोजगार सृजन और लोगों के जीवनस्तर में बढ़त न हो पाने जैसे सवालों से जूझना पड़ रहा है. इसलिए तरक्की और रोजगार के सवालों पर बात करते समय पीएम मोदी ने कोशिश की कि दुनिया भारत को एक प्रभावी राष्ट्र के रूप में देखे जिसकी बदलते वैश्विक जगत में एक भूमिका है.
पीएम मोदी ने दावोस के मंच से एक बार फिर डिजिटाइजेशन, जीएसटी, नोटबंदी, एफडीआई नीति की सफलताओं की चर्चा की. उन्होंने बताया कि देश में किस तरह से आर्थिक सुधारों के द्वारा तरक्की को तेज किया गया है और सुधार, प्रदर्शन तथा बदलाव के मंत्र से देश आगे बढ़ रहा है.
उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत साझेदारी वाली दुनिया के निर्माण से की और मानवता के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया. उन्होंने अपने भाषण में काफी समय जलवायु परिर्वतन जैसे विषयों को दिया. उन्होंने भारत की समृद्ध आर्थिक विरासत की चर्चा की और महात्मा गांधी के इस कथन पर जोर दिया कि ‘प्रकृति में आपकी जरूरत के लिए तो पर्याप्त है, लेकिन आपके लालच के लिए नहीं.’ इसलिए मनुष्य को प्रकृति के साथ सहअस्तित्व बनाने की जरूरत है.
उन्होंने सहअस्तित्व के साथ ही वैश्विक शांति में भारत की भूमिका पर बल दिया. इधर देश में बढ़ रही हिंसा और घृणा को लेकर उनकी सरकार को आलोचना झेलना पड़ रहा है, लेकिन इस मंच पर मोदी ने जोर दिया कि दुनिया को ‘दरार’ और ‘हिंसा’ दूर करने के लिए काम करना चाहिए. वसुधैव कुटुम्बकम के संदेश के द्वारा मोदी ने यह बताने की कोशिश की कि हमारा देश हिंसा की वकालत नहीं करता और हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं. हम तो पेड़-पौधों और जानवरों को भी नुकसान नहीं पहुंचाते.
उनके समर्थक वर्ग के लिए खुश करने वाली बात यह भी है कि मोदी जी ने दावोस के मंच से ‘अच्छे आतंकी’ और ‘बुरे आतंकी’ की बात करने वाले दोहरे मापदंड वाले देशों को कड़ा संदेश दिया है. असल में अब आम चुनाव में ज्यादा समय नहीं है, जिसको देखते हुए पीएम मोदी दुनिया के हर मंच का इस्तेमाल देश के लोगों को अपना ‘विजन’ समझाने की कोशिश करेंगे.’ ऐसा लगता है कि पीएम मोदी चुनावी मोड में उतर चुके हैं.