प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 14 दिसंबर को प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर गंगा की निर्मलता के लिए कमर कसी जा रही है। उनके द्वारा ‘मोक्षदायिनी’ के पानी का आचमन करने की संभावना के मद्देनजर फर्रुखाबाद से कानपुर तक गंगाजल की निगरानी कराई जाएगी। नरौरा से पानी छोडऩे के साथ ही जलस्तर बढ़ाने की कवायद तेज हो गई है।
रामगंगा और काली नदी पर रखी जाएगी नजर
प्रधानमंत्री गंगा के घाटों का अवलोकन करेंगे तो उनकी नजर गंगाजल की निर्मलता और अविरलता पर रहना स्वाभाविक है। ऐसे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), आइआइटी कानपुर व नेशनल इनवायरोमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) नागपुर समेत कई और संस्थानों को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसकी शुरुआत फर्रुखाबाद से होगी, कन्नौज, कानपुर से लेकर फतेहपुर सीमा तक निगहबानी की जाएगी। गंगा ही नहीं रामगंगा और काली नदी पर भी नजर रखी जाएगी। विशेषज्ञ गंगा की रिपोर्ट तैयार कर जल्द से जल्द शासन को भेजेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक कार्ययोजना तैयार कर स्व’छ गंगाजल के लिए कवायद की जाएगी।
पीडब्लूडी बनाएगा तीन हेलीपैड
पीएम नरेंद्र मोदी कानपुर में गंगा का हाल देखेंगे और गंगा काउंसिल मीटिंग में भी शामिल हो सकते हैं। पीएम के प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए सीएसए में हेलीपैड व आसपास की सड़कों का हाल जानने के लिए मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी दिवाकर शुक्ला ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी सीएसए में तीन हेलीपैड बनाएगा। अगर इससे ज्यादा की जरूरत पड़ेगी तो स्थान के लिए जिला प्रशासन से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी तीन से चार दिनों में हेलीपैड बनाने का काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने सीएसए, गंगा बैराज, गुरुदेव पैलेस तक सभी सड़कों को देखा और निर्देश दिए कि 14 दिसंबर से पहले सभी दिक्कतें दूर हो जानी चाहिए। पीएम के आने से पहले लगातार अफसर संबंधित रूट का निरीक्षण करते रहेंगे।
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