जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप के निवेश वाली हॉस्पिटैलिटी चेन ओयो रूम्स (OYO Rooms) जल्द अपना आईपीओ ला सकती है जिसका निवेशक लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। ओयो डॉलर बॉन्ड की बिक्री के जरिए 45 करोड़ डॉलर जुटाने के अपने री-फाइनेंसिंग प्लान को अंतिम रूप देने के काफी करीब है। इसके बाद वह सेबी से आईपीओ का अप्रवूल लेने के लिए DRHP का अपडेटेड वर्जन दाखिल करेगी।
जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप के निवेश वाली हॉस्पिटैलिटी चेन ओयो रूम्स (OYO Rooms) जल्द अपना आईपीओ ला सकती है, जिसका निवेशक लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इस ग्लोबल ट्रैवल टेक कंपनी ने डॉलर बॉन्ड की बिक्री के जरिए 45 करोड़ डॉलर जुटाने के अपने री-फाइनेंसिंग प्लान को अंतिम रूप देने के काफी करीब है। जेपी मॉर्गन 9 से 10 प्रतिशत की अनुमानित सालाना ब्याज दर पर डॉलर बॉन्ड की बिक्री के माध्यम से री-फाइनेंसिंग के लिए संभावित लीड बैंकर है।
DRHP वापस लेने के लिए आवेदन
ओयो ने पहले ही अपने मौजूदा ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को वापस लेने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास आवेदन कर दिया है। कंपनी का इरादा पहले री-फाइनेंसिंग करके अपनी वित्तीय सेहत को बेहतर करने का है। फिर वह सेबी के पास DRHP का अपडेटेड वर्जन दाखिल करेगी। DRHP असल में एक दस्तावेज होता है, जिसमें कंपनी के वित्तीय, ट्रेड ऑपरेशन, इंडस्ट्री में स्थिति, प्रमोटर, और लिस्टेड या अनलिस्टेड ट्रेडर्स के बारे में जानकारी होती है।
DRHP से मोटे तौर पर पता चलता है कि कंपनी आईपीओ के जरिए जनता से पैसे क्यों जुटाना चाहती है, पैसों का इस्तेमाल किस तरह किया जाएगा। साथ ही, इससे यह जानकारी भी शामिल होती है कि निवेश में किस तरह के जोखिम शामिल होंगे। जैसे कि कंपनी किसी कानूनी पचड़े में तो नहीं फंसी है, उसे कारोबार में नफा हो रहा या फिर नुकसान। इन सब चीजों के आकलन से निवेशकों को फैसला करने में आसानी होती है कि उन्हें आईपीओ में पैसे लगाने चाहिए या फिर नहीं।
क्या ओयो का आईपीओ प्लान?
OYO की पैरेंट कंपनी Oravel Stays Ltd ने नवंबर में बायबैक प्रोसेस के जरिए अपने कर्ज का एक बड़ा हिस्सा 1,620 करोड़ रुपये का प्रीपेड पेमेंट किया था। अब उसका बकाया लोन घटकर करीब 45 करोड़ डॉलर हो गया है।
ओयो की आईपीओ प्लानिंग से जुड़े सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि री-फाइनेंसिंग से ओयो के वित्तीय विवरणों में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। इससे लोन चुकाने की समयसीमा बढ़ेगी और 14 प्रतिशत की मौजूदा ब्याज दर भी कम होगी। इसका पूरा हिस्सा उसके शुद्ध मुनाफे में जुड़ेगा। इसलिए मौजूदा नियमों के अनुसार, उसे नियामक के साथ अपनी फाइलिंग में संशोधन करना होगा।
3 साल से आईपीओ की प्लानिंग
रितेश अग्रवाल के मालिकाना हक वाली ओयो का मानना है कि उसके री-फाइनेंसिंग की बात काफी आगे बढ़ चुकी है। लिहाजा, मौजूदा वित्तीय स्थिति के साथ आईपीओ एप्लिकेशन को जारी रखने का कोई मतलब नहीं। ऐसे में मौजूदा आवेदन को वापस लेने में ही समझदारी है। कंपनी री-फाइनेंसिंग के बाद अपनी वित्तीय ताकत को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक लिस्टिंग से पहले निवेशकों के विश्वास की पुष्टि करने के लिए एक इक्विटी राउंड लाने पर भी विचार कर रही है।
OYO ने सितंबर 2021 में 8,430 करोड़ रुपये के IPO के लिए सेबी के पास शुरुआती दस्तावेज जमा किए थे। लेकिन, उस वक्त कोरोना महामारी के चलते शेयर बाजार काफी अस्थिर था। ऐसे में आईपीओ की लॉन्चिंग में देरी हुई। इससे कंपनी को 4-6 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर आईपीओ लाने के लिए तैयार होना पड़ा, जबकि पहले उसका इरादा 11 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर आईपीओ लाने का था।