श्रीलंका में साल 2004 से बलात्कार, मादक पदार्थों की तस्करी और हत्या को बड़ा अपराध माना जाता है, लेकिन सजा केवल आजीवन कारावास तक ही दी गई है। हालांकि इस देश में फांसी देना कानूनन वैध है, लेकिन साल 1976 से अब तक यहां किसी को भी फांसी नहीं दी गई है।
श्रीलंका के न्याय और कारागार सुधार मंत्रालय ने घोषणा की है कि सुरक्षा कारणों के चलते चुने गए लोगों के नाम और साक्षात्कारों की तारीख की घोषणा नहीं की जाएगी। आवदेन करने की आखिरी तारीख 25 फरवरी रखी गई थी।
श्रीलंका के न्याय मंत्रालय ने पहले घोषणा की थी कि मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में 48 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। इनमें से 30 ने आगे अपील की है, इसलिए अब अन्य 18 दोषियों को फांसी दी जानी है।
श्रीलंका में पहले एक जल्लाद था, लेकिन फांसी का तख्ता देखकर ही वह सदमे में चला गया था और साल 2014 में उसने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद एक अन्य जल्लाद को पिछले साल नौकरी पर रखा गया, लेकिन वह कभी नौकरी पर ही नहीं आया। यहां फिलहाल कोई भी स्थायी जल्लाद नहीं है।