NSA अजीत डोभाल की अगुवाई में भारत के एक्शन से चीन को साफ संदेश

पैंगोंग झील इलाके के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से भारत-चीन की सेनाएं पीछे हट चुकी हैं. महीनों तक चले तनाव में कई बार दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आईं, खूनी झड़प भी हुई. लेकिन अब अंततः दोनों सेनाओं के बीच सहमति बन गई और डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हुई. बताया जा रहा है कि पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर ऊंचाइयों पर कब्जा करने की भारतीय चाल इस पूरे मामले में गेम-चेंजर साबित हुई. इसकी प्लानिंग एनएसए अजीत डोभाल की अगुवाई में की गई.

सरकारी सूत्रों ने मीडिया को बताया कि चीन से सीमा विवाद के बीच एनएसए अजीत डोभाल की अगुवाई में एक हाई लेवल बैठक हुई. इस बैठक में रक्षा स्टाफ के प्रमुख जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने शामिल थे. इस बैठक में अगस्त के मध्य में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए एक गेम चेंजर प्लानिंग की गई.

बैठक के दौरान रेजांग ला, रेचन ला, हेल्मेट टॉप और अकी ला सहित दक्षिणी बैंक की ऊंचाइयों पर कब्जा करने का सुझाव दिया गया. ताकि ऐसा करके चीन को बातचीत की मेज पर लाया जा सके. और बाद में वही हुआ, पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित ऊंचाई वाली चोटियों पर भारतीय जवानों ने कब्जा जमा लिया. जो पूरे चीन से जारी गतिरोध में गेम चेंजर साबित हुई. इससे चीन पर काफी दबाव बना क्योंकि भारत ने ऐसा करके चीन की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़त हासिल कर ली थी.

यही नहीं चीन से गतिरोध के बीच वायु सेना प्रमुख भी एक्टिव थे. एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया उत्तरी सीमा क्षेत्र में चीनी खतरे का मुकाबला करने के लिए भारतीय वायु सेना के रुख पर एनएसए को जानकारी दे रहे थे.

सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना के रुख से मुकाबला करने में सीडीएस जनरल रावत, सेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पूर्वी लद्दाख गतिरोध के दौरान भारतीय सेनाएं पूरी तरह से तैयार थीं.

भारत के एक्शन से पड़ोसी देश को साफ संदेश गया कि वह किसी भी आक्रामकता से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. बीते दिन ही सेना प्रमुख ने कहा था कि हमारे बीच कई बैठकें हुईं. एनएसए ने जो सलाह दी, वह भी बेहद काम आई.

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