एनडीए का मंत्र है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास। एनडीए सरकार का निरंतर ये प्रयास रहा है कि कोई व्यक्ति, कोई भी क्षेत्र विकास के लाभ से छूट ना जाए। सुविधा, सम्मान और सुअवसर में किसी के साथ भी कोई भेद नहीं होना चाहिए। यही तो सुशासन का भी लक्ष्य है।
सिर्फ और सिर्फ अपने-अपने परिवार के लिए काम कर रही इन पारिवारिक पार्टियों ने आपको क्या दिया? बड़े-बड़े बंगले बने, तो किसके बने? महल बने, तो किसके बने? बड़ी-बड़ी करोड़ों की गाड़ियां आईं, गाड़ियों का काफिला बना, तो किसका बना।
सरदार साहब ने पूरा जीवन सिर्फ और सिर्फ देश के लिए लगाया की नहीं? सरदार साहब कांग्रेस पार्टी के थे कि नहीं? फिर भी कांग्रेस पार्टी कल सरदार पटेल की जन्म जयंती पर उनका स्मरण तक नहीं किया।
यहां जंगलराज के युवराज को तो आप देख ही रहे हैं। कांग्रेस का दायरा भी अब सिर्फ अपने परिवार तक ही सीमित होकर रह गया है।
आज देश में एक तरफ लोकतंत्र के लिए पूर्ण रूप से समर्पित, एनडीए का गठबंधन है। वहीं दूसरी तरफ अपने निहित स्वार्थ को समर्पित पारिवारिक गठबंधन हैं।
बिहार ने पूरे विश्व को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया है। बिहार की धरती से ही दुनिया में लोकतंत्र की कोपल निकली थी। जब जनता के हित में फैसले होते हैं, जब फैसलों में जनता की सहभागिता होती है, तभी लोकतंत्र भी मजबूत होता है।
जिसको आज अपना पक्का घर मिल रहा है। आयुष्मान भारत योजना से मुफ्त इलाज मिल रहा है। कोरोना काल में दीवाली-छठ पूजा तक जिनको मुफ्त राशन मिल रहा है। जो जरूरी सुविधाओं के लिए भटकने पर मजबूर थे। आज जिनके पास सरकार खुद पहुंच रही है, बिहार का ऐसा हर परिवार आज एनडीए की जीत का आधार बना है।