आंध्र प्रदेश में सियासी उठापटक दिन-ब दिन बढ़ती जा रही है. गठबंधन में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी और तेलुगु देशम पार्टी के बीच अनबन तेज होती नजर आ रही है. दोनों दलों के नेताओं की बयानबाजी खींचतान को और बल दे रही है. हाल में बजट पर टीडीपी नेता और केंद्र में मंत्री के बयान ने इस बात पर चर्चा तेज कर दी है कि आंध्र के गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है.
इस बीच तेलुगु देशम पार्टी के चीफ और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आज पार्टी सांसदों की बैठक बुलाई है. अमरावती में नायडू के आवास पर बुलाई गई इस बैठक में तमाम सांसद हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि नायडू दिल्ली की राजनीति में सक्रिय अपने इन नेताओं से भविष्य की रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे. इससे पहले गठबंधन पर संकट के बादल छाने के संकेत मिल चुके हैं.
अमित शाह करेंगे बात!
सूत्रों के मुताबिक जानकारी मिली है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने चंद्रबाबू नायडू से बात की है. बीजेपी नेता ने नायडू को आश्वासन दिया है कि इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह उनसे जल्द ही बात करेंगे. बीजेपी की तरफ से नायडू को संयम बरतने के लिए कहा गया है, साथ ही टीडीपी नेताओं से सार्वजनिक तौर पर गठबंधन को लेकर बयानबाजी से बचने की भी अपील की गई है.
बजट के बाद बढ़ी दूरी
दरअसल, 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होने के बाद टीडीपी ने मुखर होकर बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मोदी कैबिनेट में मंत्री और टीडीपी नेता वाई. एस. चौधरी ने बजट से नाखुशी जाहिर कर बहस को नया मोड़ दे दिया है.
वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी बजट में आवंटन को सही नहीं बताया है. बजट पेश होने के बाद ही नायडू ने अपने सांसदों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात की. हालांकि, अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, चंद्रबाबू नायडू ने अपने सभी सांसदों और नेताओं को अभी किसी भी तरह की बयानबाजी करने से मना किया है. उनका कहना है कि वह गठबंधन धर्म निभा रहे हैं. लेकिन अगर वो (BJP) हमें नहीं चाहते हैं, तो मैं नमस्ते कह कर चल दूंगा.
दोनों पार्टियों के बीच विवाद ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है कि नायडू को आज भविष्ट पर चर्चा के लिए मीटिंग बुलानी पड़ी है. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि टीडीपी का एनडीए में सफर यहीं थम सकता है और वह जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है. हालांकि, बीजेपी ने कहा है कि वह आंध्र प्रदेश के हितों को लेकर पूरी तरह से कमिटेड हैं.