ओबीसी आरक्षण विवाद पर लंबित याचिकाओं को लेकर मप्र लोक सेवा आयोग (एमपी-पीएससी) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नया आवेदन दिया। आयोग ने 19 अगस्त को दाखिल किए गए अपने काउंटर एफिडेविट को वापस लेने की मांग की है। इस मामले में कांग्रेस हमलावर हो गई है पीसीसी चीफ जीतू पटवारी नेट ट्वीट कर कहा है कि मप्र की मोहन सरकार 27% ओबीसी आरक्षण लागू नहीं करना चाहती है। इसीलिए, तमाम तरह के झूठे आक्षेप लगाकर, जनता के असल मुद्दों से ध्यान भटकना चाहती है।
मुद्दा उठाया तो सरकार को झुकना पड़ा
पटवारी ने कहा कि 19 अगस्त को मप्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल याचिका के विरोध का जवाब दाखिल कर मांग करती है OBC को 27% आरक्षण नहीं दिया जाए। जब यह सच मैंने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए जनता को बताया तो बीजेपी मध्य प्रदेश की पूरी मशीनरी इसे छुपाने के लिए मेरे ऊपर ही झूठे आरोप लगाने लगी, ताकि असल मुद्दे दबाए जा सकें। लेकिन, सच की ताकत पूरे झूठ-तंत्र पर हमेशा हावी होती है। तभी मप्र सरकार को झुकना पड़ा और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब को वापस लेने का आवेदन देना पड़ा। पटवारी ने कहा कि मै ओबीसी समाज के युवाओं को यह भी बताना चाहता हूं कि मप्र सरकार ने माफीनामा भी दिया है कि अगली बार से ऐसे झूठे तथ्य माननीय न्यायालय के सामने नहीं रखेंगे।
यह है पूरा मामला
ओबीसी आरक्षण विवाद पर लंबित याचिकाओं को लेकर मप्र लोक सेवा आयोग (एमपी-पीएससी) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नया आवेदन दिया। आयोग ने 19 अगस्त को दाखिल किए गए अपने काउंटर एफिडेविट को वापस लेने की मांग की है। उस एफिडेविट में कहा गया था कि 27% आरक्षण की मांग वाली याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं, इसलिए खारिज होनी चाहिए। अब आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। आयोग का कहना है कि वह एफिडेविट गलती से पेश हो गया था। इसलिए उसे वापस लेने और नया एफिडेविट दाखिल करने की अनुमति दी जाए।