MP में BJP नेता उमा भारती के बहाने शराबबंदी का विवाद उछाल रही कांग्रेस

मध्य प्रदेश में सत्ता से बेदखल होने के करीब 11 महीने बाद कांग्रेस को शराबबंदी की याद आई है। अब वह भाजपा नेता उमा भारती के बहाने इस मुद्दे को उछाल रही है। 15 महीने सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस के किसी भी नेता को कभी इसकी याद नहीं आई थी। ना तो इसके लिए मांग उठाई गई और ना ही कोई पत्राचार किया गया। जबकि, कमल नाथ सरकार ने आबकारी नीति में संशोधन करके शराब ठेकेदारों को कारोबार के विस्तार के लिए कई सहूलियतें दी थीं।

मध्य प्रदेश में नई आबकारी नीति को लेकर चल रहा मंथन

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में नई आबकारी नीति को लेकर मंथन का दौर चल रहा है। इसी बीच भाजपा की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराबबंदी के पक्ष में खुलकर सामने आ गई हैं। उन्होंने ना सिर्फ इसको लेकर आठ मार्च से अभियान चलाने की घोषणा की है बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर अपनी भावना भी बता दी है।

कांग्रेस नेता अरुण यादव ने उमा भारती के अभियान का किया समर्थन

हालांकि, उमा भारती जब मुख्यमंत्री थीं, तब शराबबंदी को लेकर कोई पहल नहीं की थी। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे से जुड़ना बेहतर समझा, इसलिए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने मौके का लाभ उठाने के लिए उमा भारती के अभियान का समर्थन करने में देर नहीं लगाई। यादव ने यह भी याद दिलाया है कि वह शराबबंदी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 2017 में पत्र भी लिख चुके हैं।

शराबबंदी पर कांग्रेस में एकमत नहीं

हालांकि, यादव के समर्थन पर यह सवाल भी उठ रहा है कि जब प्रदेश में उनकी ही पार्टी की सरकार थी तब वे चुप्पी साधकर क्यों बैठे थे। कमल नाथ सरकार ने तो आबकारी नीति इतनी उदार कर दी थी कि पांच किमी के दायरे में यदि कोई दूसरी शराब दुकान ना हो तो ठेकेदार थोड़ा शुल्क देकर उपदुकान खोल सकता था। हालांकि , इसे लेकर कांग्रेस भी एकमत नहीं है। यादव के विचार से वरिष्ठ नेता लक्ष्मण सिंह की सोच अलग है। वे कहते हैं कि शराबबंदी से राजस्व की हानि होगी। कर्ज और लेना पड़ेगा। अन्य देशों में शराब व्यवसाय एक उद्योग के रूप में देखा जाता है जो रोजगार और राजस्व दोनों देता है।

शराबबंदी का मुद्दा राजनीतिक नहीं सामाजिक है

वर्ष 1995 में मेरे पिताजी और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री स्व. सुभाष यादव ने दिग्विजय सरकार में रहते हुए शराबबंदी की मांग की थी। तब से अब तक हम इसके प्रति जनजागरण अभियान चला रहे हैं। मैंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए इस संबंध में कई पत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे थे। मुद्दा राजनीतिक नहीं सामाजिक है

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