मध्यप्रदेश में कड़ाके की ठंड के बीच अब घना कोहरा लोगों की परेशानी बढ़ाने लगा है। मौसम विभाग ने सोमवार को प्रदेश के 14 जिलों में घने कोहरे का अलर्ट जारी किया है। खासकर ग्वालियर-चंबल अंचल में दृश्यता बेहद कम रहने की संभावना जताई गई है। हालांकि राहत की बात यह है कि अगले तीन दिनों तक शीतलहर नहीं चलेगी। राजधानी भोपाल में न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं प्रदेश का इकलौता हिल स्टेशन पचमढ़ी सबसे ठंडा रहा, जहां पारा 5.2 डिग्री तक लुढ़क गया।
इन 14 जिलों में कोहरे का अलर्ट
मौसम विभाग के अनुसार ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, मैहर, रीवा, मऊगंज, सीधी और सिंगरौली में सुबह के समय घना कोहरा छा सकता है। इससे पहले रविवार को भी प्रदेश के उत्तरी हिस्सों में कोहरे का असर देखने को मिला।
17 दिसंबर से बदलेगा मौसम का मिजाज
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक 17 दिसंबर की रात से नया पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) सक्रिय होगा। इसका असर अगले दो-तीन दिनों में मध्यप्रदेश में नजर आने लगेगा। इस सिस्टम के प्रभाव से ठंड एक बार फिर तेज होने की संभावना है।
पचमढ़ी से लेकर इंदौर तक ठंड का असर
प्रदेश के अधिकांश शहरों में रात का तापमान 10 डिग्री से नीचे बना हुआ है। बड़े शहरों में इंदौर सबसे ठंडा रहा, जहां न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री दर्ज किया गया। भोपाल में 7 डिग्री, जबलपुर में 9.4, ग्वालियर और उज्जैन में 9.8 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया। इस समय उत्तर भारत के ऊपर जेट स्ट्रीम सक्रिय है, जो जमीन से करीब 12.6 किलोमीटर ऊंचाई पर 176 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से बह रही है। इसका सीधा असर मध्यप्रदेश के मौसम पर पड़ रहा है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों से आने वाली बर्फीली हवाओं के साथ जब जेट स्ट्रीम सक्रिय होती है, तो ठंड का असर दोगुना हो जाता है।
दिसंबर-जनवरी क्यों होते हैं सबसे ठंडे?
मौसम विभाग के अनुसार, जैसे मानसून में जुलाई-अगस्त सबसे अहम होते हैं, वैसे ही दिसंबर और जनवरी ठंड के लिहाज से सबसे प्रभावी महीने होते हैं। इसी दौरान उत्तर भारत से आने वाली सर्द हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ प्रदेश में कड़ाके की ठंड बढ़ा देते हैं। इस साल नवंबर महीने में ही ठंड ने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। भोपाल में 15 दिन तक लगातार शीतलहर चली, जो 1931 के बाद सबसे लंबा दौर रहा। वहीं 17 नवंबर को न्यूनतम तापमान 5.2 डिग्री तक पहुंच गया था, जो अब तक का रिकॉर्ड है।
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