मध्य प्रदेश में गारंटी पीरियड के दौरान ही अचानक ध्वस्त हुए पुल-पुलियाओं की तकनीकी तौर पर लोक निर्माण विभाग फिर से जांच कराएगा। चंबल, कूनो और कुआरी नदी पर निर्मित पुलों के गिरने की तकनीकी जांच में विभाग ने निर्माण की गुणवत्ता को अच्छा बता दिया था। इस पर विभाग व स्थानीय क्षेत्रों में आरोप लग रहे थे कि विभाग ने जांच के नाम पर लीपा-पोती कर दी। इसके बाद प्रमुख अभियंता लोक निर्माण निर्माण विभाग ने जांच के लिए नई कमेटी गठित कर दी है। शिवपुरी जिले में कूनो नदी पर बना पुल पहली ही बारिश नहीं झेल पाया था। लोकार्पण होने के पांच महीने बाद ही वह ध्वस्त हो गया था। पुल ढहने पर खूब हंगामा हुआ, फौरी तौर पर दो-तीन मैदानी इंजीनियरों का निलंबन हुआ, लेकिन विभाग द्वारा गठित तकनीकी जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पुल की गुणवत्ता अच्छी बता दी। इस कारण संबंधित मैदानी इंजीनियरों को कोर्ट से राहत मिल गई। चंबल नदी के मामले में अभी जांच ही शुरू नहीं हो पाई। कटनी-मैहर मार्ग पर निर्माणाधीन पुल के स्पान में क्रेक आने की जांच अगस्त 2019 में हो गई, लेकिन जांच रिपोर्ट में किसको दोषी पाया गया, यह पता नहीं चल पाया।
उच्च स्तरीय जांच दल रवाना
मप्र लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता आरके मेहरा ने विशेष मुलाकात में बताया कि शिवपुरी जिले में कूनो नदी पर नवनिर्मित पुल के टूटने को लेकर विभागीय कमेटी की जांच पर सवाल उठ रहे थे। इसलिए हमने एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन कर फिर से तकनीकी तौर जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में ग्वालियर के अधीक्षण यंत्री को पत्र भी भेजा गया है। उन्होंने बताया कि हमने टीम को रवाना भी कर दिया है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि हमारा प्रयास है कि जांच दल की रिपोर्ट को कोई चुनौती नहीं दे सकेगा। प्रमुख सचिव से जब पूछा गया कि क्या मंदसौर, भिंड और कटनी जिले में जो पुल ध्वस्त हुए हैं, उनकी जांच रिपोर्ट का पुन: परीक्षण कराएंगे? इस पर उन्होंने कहा कि कूनो की जांच रिपोर्ट आने के बाद इस पर भी विचार करेंगे।
मंदसौर, भिंड और कटनी के बारे में निर्णय नहीं
मंदसौर जिले में चंबल नदी पर सीतामऊ-चौमेला पुल बारिश के दौरान बह गया था। इसका निर्माण 2010 में हुआ था और नौ साल में ही टूट गया। मामले में आरोप लग रहे थे कि इसकी जांच के नाम पर विभाग ने औपचारिकता ही पूरी कर दी। जांच रिपोर्ट का ब्योरा सामने नहीं आ पाया। उध्ार कटनी नदी पर निर्माणाधीन पुल का पिलर जुलाई 2019 में गिर गया। पुल का निर्माण पूरा नहीं हो पाया था, इसलिए यह मामला भी लंबित पड़ा है। उधर, भिंड जिले के ग्राम फूप में उमरी पुल का निर्माण भी 2010 में हुआ था और पांच साल में ही यह ध्वस्त हो गया। विभाग ने मामले की तकनीकी जांच भी कराई, लेकिन किसी को भी दोषी नहीं पाया गया।