बालाकोट हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के ठंडे पड़े रिश्तों में अचानक आई गर्मी के पीछे की वजह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर पर महीने भर से चल रही कोशिश बताया जा रहा है।
एनएसए अजित डोभाल और पाकिस्तान के एनएसए मोईन यूसुफ बैक चैनल के जरिये नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति व्यवस्था कायम करने के लिए लगातार बातचीत कर रहे थे। मामले से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अति गोपनीय तरीके से चल रही बातचीत का पहला नतीजा दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) का जारी साझा बयान है।
सूत्रों के मुताबिक दोनों एनएसए की मुलाकात किसी तीसरे देश में हुई थी। आगे की विश्वास बहाली के लिए एक बार फिर आमने-सामने मुलाकात की तैयारी चल रही है। मोईन डब्लू यूसुफ पाक पीएम इमरान खान के राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग व सामरिक योजना से संबंधित विशेष सहायक हैं।
सूत्रों के मुताबिक दिसंबर महीने में जब पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के साथ तानतनी चरम पर थी तब पाकिस्तानी सेना की तरफ से शांति प्रक्रिया शुरू करने का पहला संकेत मिला था। चीन के साथ अति नाजुक स्थिति के बावजूद एनएसए डोभाल इस मौके को हाथ से जाने देने के पक्ष में नहीं थे।
बैक चैनल बातचीत में यह मुद्दा भी उठा कि भारत की पूर्वी सीमा पर तनाव में पाकिस्तान ने चीन के साथ हाथ मिला रखा है। पाक की ओर से भरोसा दिलाने के बाद ही एलओसी पर संघर्ष विराम करार समेत सभी समझौतों पर अमल करने की बात आगे बढ़ी।
सूत्रों के मुताबिक सैन्य स्तर पर हुआ यह ताजा समझौता कायम रहा तो भारत पाक संबंधों का नया अध्याय शुरू किया जा सकता है। दोनों एनएसए के बीच चल रही बातचीत की जानकारी गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के अलावा किसी को नहीं थी।