Kapil Dev की ऐतिहासिक पारी, जिसका वर्ल्‍ड क्रिकेट में आज भी माना जाता है लोहा

साल 1983 की ऐतिहासिक विश्व कप जीत की कहानी भारतीय क्रिकेट फैंस अच्छी तरह से जानते हैं। वो लम्हें आज भी हर एक हिंदुस्तानी के दिलों में धड़कते हैं।

लोगों को ये भी याद होगा कि फाइनल तक पहुंचने के रास्ते में एक मैच ऐसा भी था, जहां हर किसी को ये लगा था कि मैच खत्म हो गया है। वो मैच टीम इंडिया का जिम्बाब्वे के खिलाफ था।

उस मैच को टीवी पर नहीं दिखाया गया था। ये बात है आज से (On this day 18 June 1983) 42 साल पहले की। तारीख 18 जून 1983 का दिन, जब भारतीय टीम की कप्तानी कपिल देव (Kapil Dev 175* innings) के पास थी और उस मैच में उन्होंने नॉटआउट 175 रन बनाए थे। उनकी पारी के बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने एक नया अध्याय लिखा था। आइए आपको बताते हैं उस मैच की पूरी कहानी।

Kapil Dev की ऐतिहासिक 175* रन की पारी
दरअसल, क्रिकेट में विश्व कप की शुरुआत साल 1975 में हुई थी। तब विश्व क्रिकेट में वेस्टइंडीज का दबदबा था। विंडीज टीम के तेज गेंदबाजों से विरोधी टीम खौफ खाती थी। ऐसा भला हो भी क्यों ना, वेस्टइंडीज की टीम आखिरकार दो विश्व कप जीतकर इंग्लैंड पहुंची थी। वहीं, भारतीय टीम विश्व क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही थी।

उस वक्त टीम की कमान युवा कपिल देव (Kapil Dev) के हाथों में थी। टीम इंडिया की विश्व कप जीत की किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। हर किसी को ये ही उम्मीद थी कि ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड ही वेस्टइंडीज को टक्कर दे पाएगा, लेकिन कपिल देव ने असंभव को संभव कर दिखाकर इतिहास रच डाला।

इस दौरान एक मैच ऐसा भी रहा, जिसे टीवी पर नहीं दिखाया गया, लेकिन उस मैच ने भारतीय क्रिकेट को एक अलग पहचान दिलाई। वह मुकाबला था जिम्बाब्वे बनाम भारत का, जो कि 18 जून यानी आज ही के दिन 42 साल पहले (1983) में खेला गया था।

17 रन पर आधी टीम लौटी पवेलियन
18 जून 1983 को खेले गए मैच में भारतीय टीम के कप्तान कपिल देव (Kapil Dev 1983 World Cup) ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का फैसला किया था। ओपनिंग करने सुनील गावस्कर और क्रिस श्रीकांत मैदान पर पहुंचे थे। दोनों ओपनर्स को कपिल देव ने ये कहते हुए भेजा था कि अपनी जान लगाकर मैच खेलना और कोशिश करना की उन्हें मैदान पर ना आना पड़े, लेकिन इसका उलटा ही हुआ।

गावस्कर और श्रीकांत दोनों ही अपना खाता तक नहीं खोल पाए। दोनों ही शून्य पर पवेलियन लौटे। इसके बाद मोहिंदर अमरनाथ 20 गेंद खेलकर 5 रन बनाकर सस्ते में आउट हुए।

संदीप पाटिल जैसे बल्लेबाज भी क्रीज पर सेट नहीं हो पाए और देखते-देखते 17 रन पर टीम इंडिया की आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी। हर किसी को टीम की हार का डर सताने लगा था, लेकिन फिर क्रीज पर आए कपिल देव, जिन्होंने अकेले दम पर योद्धा की तरह खेला।

जब कपिल देव बने असली योद्धा
5 विकेट गिरने के बाद कपिल देव ने बल्ला थामकर वर्ल्ड क्रिकेट में भारत को पहचान दिलाई। उन्होंने सबसे पहले रोजर बिन्नी के साथ मिलकर टीम की पारी को संभालने की कोशिश की। बिन्नी 22 रन बनाकर आउट हुए। इसके बाद उन्होंने रवि शास्त्री से उन्हें लगा कि साथ मिलेगा, लेकिन वह महज 1 रन ही बना सके।

दूसरे छोर से किसी ने भी टिककर उनका साथ नहीं निभाया। 140 रन के स्कोर पर टीम इंडिया अपने 8 विकेट गंवा चुकी थी और कपिल ने विकेटकीपर बैटर सैयद किरमानी के साथ मिलकर 9वें विकेट के लिए 126 रन की साझेदारी निभाई।

उस मैच में कपिल देव ने 138 गेंदों पर 16 चौके और 6 गगनचुंबी छक्कों के दम पर 175 रन की नाबाद खेली थी, जिसके दम पर भारतीय टीम ने 8 विकेट पर 266 रन का स्कोर खड़ा किया। इसके जवाब में जिम्बाब्वे की टीम 60 ओवर के खेल में 235 रन बनाक ढेर हो गई। टीम की तरफ से केविन कुरेन ने 93 गेंद पर 73 रन की पारी खेली थी। उनके अलावा रॉबिन ब्राउन के बल्ले से 35 रन निकले थे। इस तरह भारत ने कपिल देव की 175* पारी के दम पर जिम्बाब्वे को 31 रन से मात दी थी।

कपिल देव के रिकॉर्ड्स
वनडे में भारत के लिए पहला शतक: कपिल देव ने 1983 विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ 175* रन बनाकर भारत के लिए वनडे में पहला शतक जड़ा था।

नंबर 6 पर दूसरा सबसे बड़ा स्कोर: वनडे में नंबर 6 या उससे निचले क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए यह दूसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है।

जब टीम ने 30 रन पर 5 विकेट गंवाए, तब किसी खिलाड़ी द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर: उनकी 175* रनों की पारी तब आई जब भारत का स्कोर 17 रन पर 5 विकेट (और 30 रन पर 5 विकेट से भी नीचे) हो गया था। यह किसी भी खिलाड़ी द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर है जब टीम ने 30 रन के अंदर 5 विकेट गंवा दिए हों।

विश्व कप में भारतीय कप्तान द्वारा सर्वोच्च स्कोर: यह विश्व कप में किसी भारतीय कप्तान द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर है।

वनडे में विकेट के साथ किसी भारतीय का सर्वोच्च स्कोर: उन्होंने इस मैच में 175* रन बनाए और 1 विकेट भी लिया (1/32), जो वनडे में विकेट के साथ किसी भारतीय का सर्वोच्च स्कोर है।

वनडे पारी में भारत के लिए रनों का उच्चतम प्रतिशत (65.78%): इस पारी में उनके 175* रन भारत के कुल 266/8 रनों का 65.78% थे, जो एक पूरी वनडे पारी में भारत के लिए रनों का उच्चतम प्रतिशत है।

भारत ने जीता ODI WC 1983 का खिताब
जिम्बाब्वे को 31 रन से मात देने के बाद ग्रुप स्टेज में टीम इंडिया अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर सेमीफाइनल में पहुंची। जहां उनका सामना इंग्लैंड से हुआ और उस मैच को टीम इंडिया ने 6 विकेट से जीतते हुए फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल में उनका सामना डिफेंडिंग चैंपियन वेस्टइंडीज से हुआ। लॉर्ड्स में खेले गए उस मैच में भारत ने वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर पहली बार विश्व विजेता (India won ODI World Cup 1983) बनने की उपलब्धि प्राप्त की थी।

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