मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल मुंबई स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने स्टार टेलीविजन प्रोडक्शंस लिमिटेड (STPL) और इसकी भारतीय सहयोगी कंपनी स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (SIPL), जिसे अब जियो स्टार इंडिया के नाम से जाना जाता है, के बीच सीमा पार विलय को मंजूरी दे दी है। बता दें कि STPL ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में रजिस्टर्ड है।
कौन है ‘स्टार’ ब्रांड का मालिक
जियो स्टार इंडिया रिलायंस इंडस्ट्रीज और डिज्नी के बीच एक जॉइंट वेंचर है, जिसे नवंबर 2024 में स्टार इंडिया और वायकॉम18 के विलय के जरिए बनाया गया था। इस कंपनी की वैल्यू 8.5 अरब डॉलर आंकी गयी थी। 26 सितंबर के अपने ऑर्डर में, एनसीएलटी ने कंपनी अधिनियम की धारा 230-232 के तहत विलय को मंजूरी दी और इसे “निष्पक्ष, उचित और कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करने वाला” बताया।
एसटीपीएल ‘स्टार’ ब्रांड का मालिक है और इसे ग्रुप की कंपनियों को लाइसेंस देता है
211.6 करोड़ रुपये में हुई थी डील
नवंबर 2024 में, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने डिज्नी के एक शेयरहोल्डर से एसटीपीएल का 63.16% हिस्सा 211.6 करोड़ रुपये में खरीदा था, जिससे एसटीपीएल इसकी सब्सिडियरी कंपनी बन गई थी। इस मर्जर से जियो स्टार में ब्रांड ओनरशिप और ऑपरेशन एक ही जगह आ गयी, जो स्टार और कलर्स ब्रांड्स के तहत विभिन्न शैलियों में 100 से अधिक टीवी चैनल चलाता है, और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म जियोहॉटस्टार का भी ऑपरेशन करता है।
रिलायंस के शेयर पर रखें नजर
NCLT की तरफ से आई अपडेट के बीच आज रिलायंस का शेयर फोकस में रहेगा, जो कि शुक्रवार को 5.30 रुपये या 0.39 फीसदी की मजबूती के साथ 1,377.75 रुपये पर बंद हुआ था।
वहीं एनसीएलएटी (NCLAT) ने रिलायंस रिटेल को भी राहत दी है और कैपिटल हिस्सेदारी में कमी को लेकर इसके खिलाफ याचिका खारिज कर दी।
दरअसल रिलायंस रिटेल ने साल 2023 में अपनी इक्विटी शेयर कैपिटल कम कर दी थी। न्यायाधिकरण ने कहा कि नॉन-प्रमोटर्स को उनके शेयरों का उचित मूल्य (Fair Price) देने की पेशकश की गई थी। रिलायंस रिटेल ने 2023 में प्रमोटर्स/होल्डिंग कंपनी के अलावा, माइनोरिटी शेयरहोल्डर्स के पास मौजूद कंपनी के 78,65,423 इक्विटी शेयरों को कम करने और रद्द करने का फैसला किया था।