झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद पर बाबूलाल मरांडी की ताजपोशी में तकनीकी अड़चन है। भाजपा द्वारा बाबूलाल मरांडी को विधायक दल के नेता पद पर चयनित किए जाने की विधिवत सूचना विधानसभा सचिवालय को दी गई है, लेकिन इसपर अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। बाबूलाल मरांडी ने जहां भाजपा में झाविमो के विलय का दावा किया है, वहीं दो अन्य विधायकों ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली है। नियमानुसार विधायक दल के विलय के लिए एक तिहाई सदस्य आवश्यक हैं।
हालिया विधानसभा चुनाव में झाविमो के तीन विधायक चुने गए थे। विलय की अड़चन को देखते हुए बाबूलाल मरांडी ने पहले बारी-बारी से दोनों विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को बाहर का रास्ता दिखाया, लेकिन नियमानुसार अध्यक्ष का हस्तक्षेप विधायक दल में नहीं होता। ऐसे में बाबूलाल मरांडी की बतौर भाजपा विधायक मान्यता मिलने में अड़चन आ सकती है।
फिलहाल विधानसभा सचिवालय ने नेता प्रतिपक्ष पद पर बाबूलाल की नियुक्ति पर मुहर नहीं लगाई है। इसपर स्पीकर अंतिम निर्णय लेंगे। हालांकि यह फैसला राज्यसभा चुनाव तक टल भी सकता है। इसके पीछे का गणित राज्यसभा चुनाव में भाजपा को जीत के करीब जाने से रोकना है। बाबूलाल मरांडी के विलय को वैधानिकता मिलने पर भाजपा का एक वोट बढ़ जाएगा।
जब करना हो करें, मेरी कोई रुचि नहीं : बाबूलाल
बाबूलाल मरांडी का कहना है कि यह तकनीकी मसला है और इसपर विधानसभा सचिवालय को फैसला लेना है। भाजपा विधायक दल ने विधिवत तौर पर उन्हें अपना नेता चुना है। इसकी जानकारी भी विधानसभा अध्यक्ष को दे दी गई है। इसमें किसी प्रकार की तकनीकी अड़चन से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर चुके हैं और पूरी मजबूती से संगठन का काम करेंगे।
दलगत भावना से उठना चाहिए : भाजपा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने नेता प्रतिपक्ष के चयन के निर्णय को लेकर विधानसभा अध्यक्ष से दलगत भावना से ऊपर उठकर विचार करने की अपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता बनाया है। इसकी विधिवत सूचना विधानसभा को दे दी गई है।
विलय पर बढ़ेगी मुश्किलें
- विधायक दल के विलय में एक तिहाई सदस्य आवश्यक।
- दो विधायक चले गए हैं कांग्रेस में, कांग्रेस ने सूचित कर दिया है विधानसभा सचिवालय को।
- बाबूलाल मरांडी अध्यक्ष होने के नाते निष्कासित नहीं कर सकते विधायक दल के नेता को।
- अगर बाबूलाल मरांडी को नहीं मिली मान्यता तो मामला जा सकता है हाई कोर्ट में।
- मान्यता नहीं मिलने तक बाबूलाल मरांडी नहीं बैठ सकते विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए निर्धारित स्थान पर।
नए भवन में पूरी तरह शिफ्ट हुआ विधानसभा
विधानसभा सचिवालय पूरी तरह कुटे स्थित नया भवन में बुधवार को शिफ्ट हो गया। विधानसभा का बजट सत्र भी नए भवन में आहूत होगा। विधानसभा सचिवालय के मुताबिक नया भवन पूरी तरह तैयार है। गौरतलब है कि दिसंबर में विधानसभा के पश्चिमी हिस्से में आग लगने से काफी नुकसान हुआ था। इसकी वजह से विधायकों को शपथ दिलाने के लिए आहूत विशेष सत्र का आयोजन नहीं हो पाया था।