झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी भले ही भाजपा में औपचारिक तौर पर अभी शामिल नहीं हुए हैैं, लेकिन पहले से संगठन में जमे और प्रभावी नेताओं ने उनसे संपर्क की कवायद तेज कर दी है। वे जहां उनके करीबियों से मिलकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं, वहीं खुद के लिए एक अदद अच्छे पद की चाहत भी बता रहे हैं। वहीं, किसी न किसी वजह से हाशिये पर चल रहे नेताओं ने भी अपनी बातें बाबूलाल कैंप तक पहुंचाने की कोशिश की है। इनकी दलील यह है कि उन्हें लंबे अर्से तक उपेक्षित रखा गया।
अगर उन्हें मौका मिला तो वे बेहतर परिणाम दे सकेंगे। तेजी से होने वाले बदलाव की आहट ने पुराने भाजपाइयों को इस कदर सक्रिय कर दिया है कि वे किसी तरह बाबूलाल के गुड बुक में आने को बेकरार हैं। इसमें कई ऐसे नेता भी हैं, जो बाबूलाल मरांडी के साथ शुरुआती दिनों में भाजपा छोड़कर गए थे। बाद में उन्होंने वहां बेहतर संभावना नहीं देखते हुए वापसी कर ली थी। ऐसे लोग भी पुराने संबंधों की दुहाई देते नहीं थक रहे हैैं। इस जमात ने बाबूलाल मरांडी के करीबी नेताओं से संपर्क में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
चुना जाना है विधायक दल का नेता
विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद से झारखंड में भाजपा पस्त है। अभी तक विधायक दल की एक भी औपचारिक बैठक नहीं हो पाई है। विधायक दल का नेता भी चुना जाना बाकी है। एक वरीय नेता के मुताबिक अब बदले परिप्रेक्ष्य में नए नेता का चयन होगा। ऐसे में इसमें और देरी लगेगी। इस प्रकरण से उन नेताओं को झटका लगा है, जो खुद को इस रेस में आगे बता रहे थे। इन नेताओं ने फिलहाल चुप्पी साध ली है और आने वाले दिनों में होने वाली गतिविधियों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
नए प्रदेश अध्यक्ष की भी होगी ताजपोशी
विधानसभा चुनाव में हार के बाद झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने इस्तीफा दे दिया था। गिलुवा खुद भी विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। इससे पहले मोदी लहर के बावजूद उन्हें लोकसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। गिलुवा का इस्तीफा अभी तक मंजूर नहीं हुआ है। अब यह थोड़े दिन और टलेगा। बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने के बाद अब उनके करीबी और विश्वस्त नेताओं को ही यह पद दिए जाने की संभावना प्रबल हो गई है।
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