JDU में आलोचना झेल रहे प्रशांत किशोर, शिवानंद बोले- छोड़ दीजिए CM नीतीश का साथ

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार के विश्‍वस्‍त रहे प्रशांत किशोर इन दिनों मुश्किल में हैं। हाल में प्रशांत किशोर के कुछ बयान पार्टी व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ गए हैं। इस कारण पार्टी में उनका मुखर विरोध शुरू हो गया है। इसपर राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष शिवानंद तिवारी ने उन्‍हें नीतीश कुमार का साथ छोड़ देने की सलाह दी है।JDU में आलोचना झेल रहे प्रशांत किशोर, शिवानंद बोले- छोड़ दीजिए CM नीतीश का साथ

अगले 10 साल नहीं लडेंगे कोई चुनाव!
इस बीच एक बड़ी खबर यह भी मिली है कि प्रशांत किशोर अगले 10 साल तक कोई चुनाव नहीं लडेंगे। हालांकि, प्रशांत किशोर की तरफ से इसपर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। विदित हो कि पहले उनके बक्‍सर से जदयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा होती थी। इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। वहां से केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे सांसद हैं।

शिवानंद ने लिखा: स्‍वतंत्र विचार सहन नहीं करते नीतीश
शिवानंद तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्‍ट में लिखा है कि प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार के साथ टिक नहीं पाएंगे। नीतीश कुमार अपने इर्द-गिर्द किसी भी स्वाभिमानी और स्वतंत्र विचार रखने वाले व्यक्ति को सहन नहीं करते हैं। प्रशांत किशोर हर मसले पर अपनी राय रखते हैं। उनकी हर राय नीतीश कुमार की राय से मेल खाए, यह जरूरी नहीं है।

इशारों में दिया राजद में आने का आमंत्रण
शिवानंद तिवारी ने इशारों में प्रशांत किशोर को राजद में आमंत्रण भी दिया। उन्‍होंने लिखा है कि नीतीश कुमार से अलग राय रखकर प्रशांत किशोर उनके साथ नहीं रह सकते हैं। प्रशांत का नाम और उनकी शोहरत अब दूर-दूर तक फैल चुकी है, इसलिए कहीं भी उनका स्वागत होगा। अगर वे नीतीश कुमार को छोड़ते हैं तो इससे उन्‍हें कोई हानि नहीं होने वाला है।

अलग-अलग दिख रहीं जदयू और प्रशांत की धाराएं
हालिया घटनाक्रम पर नजर डालें तो जदयू और प्रशांत की धाराएं अलग-अलग दिख रहीं हैं। बेगूसराय के शहीद पिंटू सिंह को जब सरकार और पार्टी की ओर से कोई श्रद्धांजलि देने नहीं गया, तब उन्‍होंने बड़ा बयान देते हुए सरकार और जदयू की तरफ से माफी मांगी। बाद में खुद नीतीश कुमार शहीद पिंटू सिंह को श्रद्धांजलि देने बेगूसराय के ध्यानचक्की गांव में गए तो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा- एंड द फॉलोअप। ट्वीट से साफ है कि प्रशांत यह बता रहे हैं कि उनके बयान के बाद ही नीतीश कुमार शहीद पिंटू सिंह को श्रद्धांजलि देने उनके घर गए।

मुजफ्फरपुर में युवाओं से उन्होंने कहा कि जब वे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बना चुके हैं, तो युवाओं को भी सासंद-विधायक बना सकते हैं। एक और बयान में वे कहते हैं कि कि नीतीश कुमार को महागठबंधन छोड़कर भाजपा से गठबंधन के बदले नया जनादेश लेना चाहिए था।

प्रशांत किशोर ने पाकिस्‍तान को सबक सिखाने के पक्षधरों को जंगखोर और अंधराष्ट्रभक्त तक कह डाला। इसके पहले वे प्रियंका गांधी के कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने पर उन्हें बधाई भी दे चुके थे।

अपने ही उपाध्‍यक्ष के विरोध में उतरा जदयू
प्रशांत किशोर के उक्‍त बयानों से विपक्षी महागठबंधन को सियासी लाभ मिलता दिख रहा है। जदयू ने भी इन बयानों का प्रतिवाद किया है।

नीरज बोले- जनता बनाती सांसद-विधायक: प्रशांत किशोर के सांसद-विधायक बनाने वाले बयान पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी के रोल मॉडल नीतीश कुमार हैं। किसी को सांसद-विधायक जनता बनाती है। पार्टी केवल माहौल बनाती है, नेता तो जनता बनाती है।

आरसीपी सिंह ने जनादेश वाले बयान को बताया ‘निजी’: शुक्रवार को जदयू कार्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान जदयू सांसद आरसीपी सिंह ने प्रशांत के उस बयान को ‘निजी’ करार दिया, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि महागठबंधन में अलगाव के वक्‍त नीतीश कुमार को नया जनादेश लेना चाहिए था। अारसरपी सिंह ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि उस दौर में वे (प्रशांत किशोर) पार्टी में नहीं थे, इसलिए इस फैसले के बारे में उनको जानकारी नहीं है। राजग के साथ जाने के मामले में पूरी पार्टी की सहमति थी। नीतीश कुमार भी उस निर्णय के पक्ष में थे। आरसीपी सिंह ने कहा कि हरेक मामले में पार्टी का रुख साफ है।

प्रशांत किशोर के खिलाफ जदयू में असंतोष
आरसीपी सिंह व नीरज कुमार के बयान जदयू नेताओं के बयान प्रशांत किशोर के खिलाफ असंतोष का प्रकटीकरण माने जा रहे हैं। बीते तीन मार्च को पटना में हुई पीएम मोदी की रैली में पीके कहीं नहीं दिखे थे। सूत्रों के अनुसार उन्‍हें जदयू की ओर से रैली के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। इसे भी उनके खिलाफ पार्टी में गहराते असंतोष के रूप में देखा जा रहा है।

दरअसल, प्रशांत किशोर जब से पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये गए हैं, तब से पार्टी में उनका विरोध हो रहा है। लेकिन नीतीश कुमार के कारण किसी को मुंह खोलने की हिम्मत नहीं थी। अब जबकि प्रशांत के बयान में खुद नीतीश कुमार निशाने पर आ गए तो विरोधियों को मौका मिल गया है।

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