जयंती पर विशेष: ग्रामीण विकास के सच्चे पैरोकार थे चौधरी चरण सिंह

ग्रामीण भारत के मुद्दे और देश के विकास की दिशा स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी कमोवेश यथावत है। 1991 में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों के कार्यक्रमों के बाद देश में आर्थिक विकास तो तेजी से हो रहा है, लेकिन विकास की इस प्रक्रिया में गांव, किसान और खेती हाशिए पर आ गये है। आज किसान राजनीति जाति, धर्म, क्षेत्र या अन्य भावुक मुद्दों में उलझकर रह गई है। चाहे संसद हो या विधान मंडल, कहीं भी किसानों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है।

ऐसी स्थिति में चौधरी चरण सिंह की ग्राम और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और कृषक लोकतंत्र की संकल्पना की आज भी सार्थकता है। गांव की आर्थिक प्रगति के लिए चरण सिंह लघु एवं विकेंद्रित उद्योगों के हिमायती थे। उनका मानना था कि कृषि मजदूरों एवं अन्य लाखों गरीब किसानों एवं ग्रामीण बेरोजगारों की आय बढ़ाने के लिए कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देना अति आवश्यक है।

चौधरी चरण सिंह गांव के विकास के लिए सरकारी सेवाओं में किसानों की संतानों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के समर्थक थे। उनका मानना था कि हमारे राज्य या देश की परिस्थितियों में कोई भी व्यक्ति सच्चे अर्थों में लोगों की सेवा तब तक नहीं कर सकता जब तक कि वह गांव को और ग्रामीणों की समस्याओं से वास्तविक रूप में रूबरू न हो। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में वे ग्रामीण भारत के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे, जब भी उन्हें अवसर मिला उन्होंने इसके लिए ठोस कदम उठाए। धरती पुत्र के इस योगदान के लिए ग्रामीण भारत सदैव ऋणी रहेगा। – डॉ. राजकुमार सांगवान, वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय लोकदल (लेखक चौधरी चरण सिंह से लंबे समय तक जुड़े रहे)

चौधरी चरण सिंह ने अपने विचारों से कभी समझौता नहीं किया
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी की आज 121वीं जयंती है। किसानों के हकों की लड़ाई लड़ने वाले चौधरी चरण सिंह सादगी और ईमानदारी की मिसाल थे। उन्होंने अपने विचारों से कभी भी समझौता नहीं किया। जब भी उन्हें सत्ता में आकर ताकत मिली, उन्होंने किसानों की भलाई के लिए काम किए। किसान मसीहा के अनुयायी आज भी उनके संस्मरण, आदर्श और बातें अपनी धरोहर के रूप में दिलों में संजोए हुए है।

छपरौली से पांच बार विधायक रहे 92 वर्षीय चौधरी नरेंद्र सिंह को चौधरी चरण सिंह की सभी बातें याद है। वह बताते हैं कि चौधरी साहब ने कभी भी अपने विचारों से समझौता नहीं किया। 1959 में नागपुर के अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉपरेटिव फार्मिंग को लागू करना चाहते थे, मगर चौधरी साहब ने इसका खुलकर विरोध किया। अधिवेशन में ही इसके नुकसान बताए। इस किसान विरोधी बताया। प्रस्ताव पास होने के बावजूद भी पंडित नेहरु इस कानून को लागू करने का साहस नहीं जुटा पाए थे। उनका मत था कि किसान, गांव खुशहाल होंगे, तो देश खुशहाल होगा।

पूर्व एमएमसी जगत सिंह बताते हैं कि चौधरी चरण सिंह को जब भी सत्ता में आकर ताकत मिली, उन्होंने किसानों के उत्थान के लिए काम किया। गन्ने और गेहूं के दाम बढ़ाए। खेत, खलियान, किसान, मजदूरों की भलाई के लिए काम किया। वो किसानों के सच्चे हितैषी थे। उन्होंने पूंजीपतियों से कभी भी हाथ नहीं मिलाया। ग्रामीणों के बीच जाकर चंदा एकत्र कर गरीबों को चुनाव लड़वाया और उन्हें सत्ता का भागीदार बनाया।

किसान आज युवा संवाद में भाग लेंगे
भाकियू के जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी ने बताया कि चौधरी चरण सिंह आज भी किसानों की आत्मा में बसते है। शनिवार यानि आज भाकियू कार्यकर्ता सिसौली में चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित यज्ञ एवं युवा संवाद कार्यक्रम भाग लेंगे।

रजपुरा में चौधरी चरण सिंह द्वार का शिलान्यास आज
मवाना रोड स्थित रजपुरा गांव में शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में चौधरी चरण सिंह द्वार का शिलान्यास किया जाएगा। इस दौरान विचार गोष्ठी भी होगी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com