बीसीसीआइ ने इस साल होने वाले आइपीएल के आयोजन के लिए छह शहरों का चयन कर लिया है। इस बार मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद और दिल्ली आइपीएल के मैचों की मेजबानी करेंगे। हालांकि, मुंबई बिना दर्शकों की मौजूदगी के ही आइपीएल मैचों की मेजबानी करेगा। इस तरह इस बार तीन टीमें राजस्थान रॉयल्स, सनराइजर्स हैदराबाद और पंजाब किंग्स अपने घरेलू मैदान पर नहीं खेल सकेंगी।
जिन छह शहरों को आइपीएल के मैचों की मेजबानी सौंपी गई है उनमें से सिर्फ अहमदाबाद अकेला ऐसा शहर है जिसकी कोई फ्रेंचाइजी टीम नहीं है। बाकी पांच शहरों की फ्रेंचाइजी टीमें हैं जो अपने घरेलू मैदान पर मैच खेल सकेंगी। दैनिक जागरण पहले ही यह खबर प्रकाशित कर चुका है कि इस बार आइपीएल के मैच आठ शहरों के बजाय छह शहरों में आयोजित हो सकते हैं। हालांकि, मेजबानी हासिल करने वाले शहरों में हैदराबाद को घरेलू क्रिकेट कारणों के चलते जगह नहीं दी गई और दिल्ली को अंत में मेजबान शहरों की सूची में शामिल किया गया।
महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद भी वानखेड़े स्टेडियम में मैचों की मेजबानी करने अनुमति दी है। पुणे में भारत और इंग्लैंड के बीच वनडे सीरीज दर्शकों के बिना आयोजित होगी और इसी तरह महाराष्ट्र सरकार ने वानखेड़े स्टेडियम में दर्शकों को मैच में आने की अनुमति नहीं दी। आइपीएल के इस सत्र की शुरुआत अप्रैल के दूसरे सप्ताह से हो सकती है और उम्मीद की जा रही है कि यह 11 अप्रैल से शुरू हो जाएगा।
हालांकि, कुछ राज्यों में मैच के दौरान दर्शकों को अनुमति नहीं मिलेगी, जबकि कुछ राज्यों में स्टेडियम की क्षमता के अनुसार 50 प्रतिशत दर्शकों को अनुमति दी जाएगी। इस पर बीसीसीआइ ने फैसला लिया है। उधर, आइपीएल फ्रेंचाइजियों ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक फ्रेंचाइजी के अधिकारी ने कहा कि यह डरावना है। एक या दो राज्यों में इसका आयोजन करना सही होता। 2020 के सत्र को तीन स्थानों में किया गया था और वह तरीका सही था। बीसीसीआइ ने प्रस्ताव दिया है कि आठ टीमों को ग्रुपों में बांट देना चाहिए।
वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी सामने आ रहा है कि राजस्थान रॉयल्स, सनराइजर्स हैदराबाद और पंजाब किंग्स की टीम 6 शहरों में आयोजित होने वाले टूर्नामेंट के पक्ष में नहीं है। क्रिकबज की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा है कि हमें सबसे ज्यादा फायदा अपने घर पर होने वाले मैचों से मिलता है। ऐसे में जब हम अपने घरेलू मैदानों पर मैच नहीं खेलेंगे तो फिर प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई करना मुश्किल हो जाएगा।