दुश्मन के जिन क्षेत्रों में सैनिक बेधड़क नहीं घुस सकते, उनमें छोटे और तेज रफ्तार मानवरहित यान सेंध लगाएंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने तीन अलग-अलग तरह के ड्रोन व हेलीकॉप्टर बनाए हैं। जिन क्षेत्रों में सैनिकों को जाने में मुश्किल होगी, वहां ये छोटे यान तेजी से घुसकर न केवल जानकारी जुटा लाएंगे बल्कि दुश्मन के उड़ते हुए ड्रोन को भी पकड़ लाएंगे।
इनकी और भी अनेक खूबियां हैं। जरूरत पड़ने पर दुर्गम स्थानों पर 20-25 किलोग्राम तक का वजनी सामान भी पहुंचा आएंगे। ये हवा में तीन से पांच घंटे तक रह सकते हैं। ड्रोन की तरह ऊपर उठकर एयरोप्लेन की तरह उड़ान भर सकते हैं। इस तरह के विशेष मानवरहित यान बनाने में आइआइटी को एक से तीन वर्ष का समय लगा। अब इन सबका ट्रायल पूरा हो चुका है।
दो रोटार वाला मानवरहित यान 13 से 15 किलोग्राम तक का वजन उठाकर साढ़े तीन किलोमीटर ऊंचाई तक उड़ सकता है। इस यान का उन स्थानों पर भोजन, कपड़े व छोटे हथियार पहुंचाने में इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां बड़े यान का पहुंचना मुश्किल है। इसमें ईंधन के लिए 2.4 लीटर के दो टैंक लगाए हैं। ईंधन फुल होने पर यह लगातार तीन घंटे उड़ सकता है।
दुश्मन के ड्रोन पर कसेगा शिकंजा
इस यान को एयरोस्पेस साइंस के छात्र अंकुर, संजय, सागर व निदीश ने तैयार किया है। आइआइटी की एयर स्ट्रिप लैब में प्रयोग के बाद अब इसका इस्तेमाल एयर सिक्योरिटी के लिए किए जाने की तैयारी है। यह कार्बन फाइबर हेलीकॉप्टर 120 किलोमीटर की रफ्तार से उड़ सकता है।
एयरोस्पेस के छात्रों ने एक ऐसा मानवरहित यान अनमेंड एरियल व्हीकल (यूएवी) बनाया है, जो हवा में पहुंचकर डेढ़ गुना रफ्तार से उड़ सकता है। यह पहला ऐसा मानवरहित यान है, जो ड्रोन व एयरोप्लेन दोनों का काम करता है। कुछ दूरी तक उड़ने के बाद यह एयरोप्लेन बन जाता है, जिससे किसी भी दिशा में एक प्लेन की तरह मूव कर सकता है।