IIM Indore भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) इंदौर विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ सामाजिक कार्यों को भी बढ़ावा दे रहा है। इसके तहत शहर के आसपास के 100 से ज्यादा गांवों में जाकर विद्यार्थी वहां का रहन-सहन और हाथ से बनाई जाने वाली कलाकृतियों की जानकारी जुटा रहे हैं। मूर्तियां, पेंटिंग, खिलौने और सजावट की उन वस्तुओं की जानकारी ली जा रही है जिनकी मांग विश्व स्तर पर बनी रहती है। गांवों में लगने वाले मेलों में विद्यार्थियों की टीम जा रही है और वहां के बाजार में बिकने वाली वस्तुओं की पूरी जानकारी दे रहे हैं। मेले में लगने वाले स्टॉल पर बिकने वाली ज्वेलरी, परिधान और लोहे- तांबे से बनी कलाकृतियों को बनाने वाले कलाकारों से विद्यार्थी मिल रहे हैं। आईआईएम ने कई गांव के कलाकारों की जानकारी भी एकत्रित कर ली है जो घर पर कलात्मक वस्तुएं बनाते हैं और इन्हें मेले या पास के बाजार में बेच देते हैं।
इस बारे में आईआईएम के निर्देशक प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि पहले सामाजिक विकास परियोजना के तहत संस्थान के विद्यार्थी बच्चों को पढ़ाने, गांवों के लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और उनकी परेशानी को दूर करने के लिए जाते थे, लेकिन कुछ महीने से विद्यार्थियों की अलग-अलग टीम बनाकर इन्हें गांवों का कल्चर और यहां की कलाओं की जानकारी एकत्रित करने के लिए भी कहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि हमारे गांवों के कई लोगों के पास खूबसूरत कला होती है, लेकिन वे अपनी वस्तुओं को मेले और लोकल बाजार तक ही पहुंचा पाते हैं। आईआईएम इंदौर इन प्रस्तुओं को विश्व स्तर के बाजार तक ले जाने की कोशिश कर रहा है।
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