संदीप सिंह 2019 में पिहोवा विधानसभा से भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक बने और उन्हें खेल मंत्री बना दिया गया। महिला कोच से छेड़खानी के आरोप लगने के बाद हरियाणा सरकार ने उनसे खेल विभाग तो वापस ले लिया था, मगर प्रिंटिग एंड स्टेशनरी डिपार्टमेंट उनके पास ही रखा।
हरियाणा के पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ महिला कोच से छेड़खानी मामले में आरोप तय होने के बाद उनका राजनीतिक करियर दांव पर लग गया है। चंडीगढ़ अदालत की कार्यवाही के बाद विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी से टिकट मिलना मुश्किल हो गया है।
राज्य में ढाई महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। पार्टी से टिकट के लिए वह भी कतार में थे। पिहोवा व आसपास के क्षेत्रों में होने वाले कार्यक्रमों में वह पूरी सक्रियता से हिस्सा ले रहे थे। महिला कोच से छेड़खानी के आरोप तय होने के बाद पार्टी अब संदीप सिंह से किनारा कर सकती है। हालांकि उन्होंने आरोपों को हटाने की याचिका भी डाली थी, मगर उसे भी अदालत ने खारिज कर दी।
संदीप सिंह पर लगे आरोपों को लेकर विपक्ष भाजपा पर हमलावर रही है। विधानसभा सत्र के दौरान भी कांग्रेस व इनेलो ने संदीप पर लगे आरोपों को राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की, मगर सरकार पूर्व मंत्री का बचाव करती रही। विपक्ष ने कई बार संदीप सिंह का इस्तीफा मांगा। राज्य में प्रदर्शन भी हुए, मगर सरकार ने उनसे इस्तीफा नहीं लिया। पूर्व सीएम मनोहर लाल के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जब सीएम नायब सिंह सैनी ने शपथ ली तो सरकार ने संदीप सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया।
पिहोवा में पहली बार खिलाया था कमल
हॉकी के खेल में बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर संदीप सिंह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थीं। इसी के बल पर भाजपा ने उन्हें पिहोवा विधानसभा से उतारा। भाजपा ने अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर संदीप सिंह पर दांव खेला और उन्होंने संदीप ने पहली बार पिहोवा में कमल खिलाया। इससे पहले इस क्षेत्र से कभी भी भाजपा ने जीत दर्ज नहीं की थी। संदीप सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार मंदीप सिंह चट्ठा को 5314 वोटों से हराया था। उन्हें करीब 34 फीसदी वोट हासिल हुए थे। पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पूर्व सीएम मनोहर लाल ने उन्हें अपने कैबिनेट में शामिल किया और खेल विभाग दिया।
चार्जशीट के बाद भी सरकार क्लीन चिट देती रही : कांग्रेस
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता व वरिष्ठ विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि आरोप लगने और चार्जशीट दायर होने के बाद भी सरकार उन्हें क्लीन चिट देती रही। सरकार उन्हें सम्मानित मंत्री बोलती रही। जिस कोच का शोषण हुआ, उसके साथ अन्याय किया गया। उसे न्याय नहीं मिला। उसे सस्पेंड कर दिया गया और दूसरी तरफ सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देती रही। हमें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था। चार्ज फ्रेम होने के बाद यह साबित भी हो गया है कि संदीप सिंह निर्दोष नहीं थे।