हिसार के लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) में पशु नेत्र चिकित्सकों ने बंदर के मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन किया है। प्रदेश में बंदर के मोतियाबिंद की यह पहली सर्जरी है। यह सर्जरी लुवास के कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा के मार्गदर्शन में पशु चिकित्सा महाविद्यालय के पशु शल्य चिकित्सा एवं रेडियोलॉजी विभाग में हाल ही में स्थापित पशु नेत्र चिकित्सा इकाई ने की। चिकित्सकों की टीम ने एक घंटे में यह सफल सर्जरी की है।
विभागाध्यक्ष डॉ. आर एन चौधरी ने बताया कि बंदर बिजली के करंट से झुलस गया था, जिसे हांसी के रहने वाले मुनीष ने बचाया और उसका इलाज करवाया। पहले बंदर के शरीर पर जलने के कई घाव थे। वह चलने फिरने में असमर्थ था। कई दिनों तक उपचार चलने के बाद जब बंदर चलने लगा तो मुनीष ने पाया की वह बंदर नेत्रहीन है। इसके बाद बंदर का उपचार करवाने के लिए मुनीष उसे लुवास के सर्जरी विभाग में लाया।
बंदर की दोनों आंखों में था सफेद मोतिया
पशु नेत्र चिकित्सा इकाई में जांच के उपरांत डॉ. प्रियंका दुग्गल ने पाया कि बंदर के दोनों आंखों में सफेद मोतिया हो गया है। एक आंख में विट्रस भी क्षतिग्रस्त हो चुका था, तो दूसरी आंख की सर्जरी की गई और सर्जरी के बाद बंदर देखने लगा। बंदर के आंख की लौटी रोशनी देखकर मुनीष और उनके साथियों ने सर्जरी टीम का धन्यवाद किया। डॉ. प्रियंका व उनकी टीम भी सर्जरी की सफलता से काफी उत्साहित है। कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा, डीन डॉ. गुलशन नारंग व अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल ने सफलतापूर्वक मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए टीम सर्जरी को बधाई दी एवं भविष्य में पशु चिकित्सा एवं पशु कल्याण में और नए आयाम स्थापित करने का संदेश दिया है।