देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को लेकर दो छात्रों द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई की। हाई कोर्ट की मुख्य पीठ ने सवाल किया कि आपको सिर्फ शहर में पार्किंग और हाउसिंग स्पेस की चिंता है, क्या आपको लोगों की चिंता है। हालांकि हाई कोर्ट ने मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिए। मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
मुख्य पीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि दिल्ली में अतिरिक्त आवास का भार डालने के दौरान क्या आपने पर्यावरण और सुविधाओं के बारे में विचार किया। वर्तमान समय में आठ मंजिला इमारत का निर्माण किया जा रहा है, जबकि पहले दो मंजिला इमारत बनती थी। अब मल्टीलेवल पार्किंग व कॉलोनियां बन रही हैं। आखिर आप दिल्ली को कैसा देखना चाहते हैं।
पीठ ने कहा कि हम पर्यावरण से समझौता नहीं कर सकते। इसके दुष्परिणाम भयावह होंगे। कोर्ट ने सलाह दी कि राजधानी के आसपास के इलाके में आवासीय कॉलोनी विकसित करने से न सिर्फ राजधानी का बोझ कम होगा, बल्कि लघु उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने उक्त आदेश छात्र मिहिर गर्ग और राशी जैन की याचिका पर दिया। दोनों छात्रों ने दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में दक्षिण दिल्ली में 16500 पेड़ों की कटाई का विरोध किया गया है। 
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