हड़प्पाकालीन सभ्यता (Harappan Civilization) में भी महिलाएं साज शृ्ंगार की शौकीन थीं। हड़प्पाकालीन गांव तिगड़ाना के खेड़े में चल रहे खोदाई कार्य में फियांस की चूडिय़ां और मनके मिले हैं। गत दिवस ट्रेंच यानि गड्ढों की संख्या भी चार से बढ़ाकर छह कर दी गई। प्रत्येक ट्रेंच का एक इंचार्ज बनाया गया है और उसमें चार से पांच विद्यार्थियों को खास खोजने की जिम्मेदारी दी गई।
हड़प्पा काल में महिलाएं पहनती थी फियांस की चूडिय़ां
पुरातात्विक शोध परियोजना तिगड़ाना के निदेशक डा. नरेंद्र परमार के अगुआई में चल रहे खोदाई के दौरान पांच हजार साल पुराने अवशेष मिल रहे हैं। मिले अवशेष बता रहे हैं कि हड़प्पाकालीन सभ्यता में भी चूडिय़ों का प्रचलन था। महिलाएं फियांस की चूडिय़ां पहनती थी। गांव तिगड़ाना के खेड़े में चल रही खोदाई के पहले चरण में इस तरह के अवशेष मिले हैं। चूडिय़ों के अलावा यहां पर फियांस के छोटे मनके भी मिले हैं। ये मनके भी साज शृंगार में काम आते थे। पुरातत्वविद प्रो. अमर सिंह बताते हैं कि फियांस एक तरह का पेस्ट होता है जो लाख जैसा होता है। उस जमाने में तांबे और मिट्टी की चूडिय़ां भी होती थी, जिनके मिलने की भी उम्मीद है।
खोदाई में स्टे टाइट के मनके भी मिले
खोदाई के दौरान स्टे टाइट पेस्ट के मनके भी मिले हैं। यह मनके भी लाख पेस्ट की तरह के ही बताए गए हैं।
मिट्टी के बर्तनों और कच्ची ईंटों के टुकड़े मिले
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय जाट पाली के पुरातत्व विभाग की टीम को खोदाई कार्य के दौरान हड़प्पाकालीन मिट्टी के बर्तनों और मिट्टी की कच्ची ईंटों के टुकड़े भी मिले हैं। उस जमाने की ईंटें 10 सेमी मोटी, 20 सेमी चौड़ी और 40 सेमी लंबी होती था।