Gehlot Government: केंद्र सरकार और कई राज्यों की सरकारें हैं राजस्थान की कर्जदार

Rajasthan Government. केंद्र सरकार और कई राज्यों की सरकारें राजस्थान की कर्जदार हैं। हाालंकि राशि बहुत ज्यादा नहीं है। राजस्थान का करीब साढ़े बारह करोड़ रुपये इन सरकारों पर बकाया चल रहा है। इसमें से कुछ राशि तो 2005 से बकाया चल रही है और आधी यानी करीब छह करोड़ रुपये की राशि तो केंद्र सरकार के पास बकाया है। हालांकि इसके भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द पैसा मिलने की संभावना बताई जा रही है।

दरअसल, यह राशि सुरक्षा बलों पर होने वाले खर्च से जुड़ी है। देश में लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनावों में सुरक्षा व्यवस्था के लिए विभिन्न राज्यों के सुरक्षा बलों का इस्तेमाल किया जाता है और ये सुरक्षा बल इन राज्यों में भेजे जाते हैं, क्योंकि किसी भी राज्य में चुनाव से जुडे़ बडे़ काम के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल नहीं होता। ऐसे में दूसरे राज्यों से सुरक्षा बल कंपनियां मंगवानी ही पड़ती है। इसमें विधानसभा चुनाव में राज्य अपने स्तर पर सुरक्षा बल मंगवाते हैं, जबकि लोकसभा चुनावों में गृह मंत्रालय स्तर से सुरक्षा बल भेजने के निर्देश जारी होते हैं। सुरक्षा बलों को दूसरे राज्यों में भेजने के बदले उस राज्य को खर्च का पुनर्भरण किया जाता है।

राजस्थान से पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, केरल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और केंद्र सरकार पर यह राशि बकाया चल रही है। इनमें उत्तर प्रदेश पर दो करोड़ 88 लाख 11 हजार रुपये बकाया है और यह राशि 2007 से लेकर 2012 तक की है। इसी तरह पंजाब पर एक करोड़ 10 लाख रुपये 2005 से 2012 तक का बकाया है। वहीं, केरल सरकार पर 83.22 लाख रुपये वर्ष 2016 से बकाया है तो जम्मू-कश्मीर सरकार पर 68.41 लाख रुपये वर्ष 2014-15 से बकाया है। कर्नाटक सरकार पर 53 .92 लाख रुपये वर्ष 2008 और 2013 से बकाया है। इनके अलावा केंद्र सरकार पर साढ़े छह करोड़ से ज्यादा की राशि बकाया है। हालांकि हाल में राज्य को मिले पत्र के अनुसार इसके भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

राज्यों पर होमगार्ड के वेतन-भत्तों के पुनर्भरण बकाया को मांगने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं। पिछली भाजपा सरकार में गृहमंत्री रहे गुलाबचंद कटारिया के समय से यह सिलसिला चल रहा है। इसके बावजूद राज्य सरकारों की ओर से भुगतान नहीं किया जा रहा है। अब एक बार फिर इन सरकारों को पत्र भेज कर राशि की मांग की जा रही है।

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