फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की अक्टूबर में होने वाली बैठक को लेकर इमरान सरकार की बैचेनी बढ़ती जा रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को यह डर सताने लगा है कि अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को प्रतिबंधित कर देता है तो उनके देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी।
एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में इमरान खान ने कहा कि ‘भारत पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान पर एफएटीएफ का प्रतिबंध लगवाने की कोशिश में जुटा हुआ है। अगर यह प्रतिबंध लग जाता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाह हो सकती है। पाकिस्तान की स्थिति ईरान जैसी हो सकती है, जिससे कोई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान कारोबार नहीं करना चाहेगा।’
वहीं, भारत का कहना है कि वह आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की अपनी मुहीम से पीछे नहीं हटने वाला है। भारत ने यह भी संकेत दिया है कि हाल के दिनों में पाकिस्तान ने जिस तरह कई आतंकियों के अपने देश में होने की बात स्वीकार की है, वह उसे भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर जोर-शोर से उठाएगा।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को एक सेमिनार में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर तीखे तंज कसे थे। जयशंकर ने कहा था कि ‘ऐसे देश जिन्होंने आतंकवाद का उत्पादन निर्यात के लिए किया है, वे खुद को आतंकवाद पीड़ित दिखाने की कोशिश करते हैं।’
पाकिस्तान की कोर्ट ने आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने का दोषी पाए जाने पर आतंकी सरगना हाफिज सईद के तीन सहयोगियों को 16 साल कैद की सजा सुनाई है। जिन लोगों को सजा सुनाई गई है उनमें से एक हाफिज सईद का बहनोई भी है। सईद 2008 में मुबई में हुए आतंकी हमले समेत भारत में हुई तमाम आतंकी वारदातों के लिए जिम्मेदार है।
अगर एफएटीएफ प्रतिबंध लगाता है तो पाकिस्तानी रुपये में बेतहाशा गिरावट हो सकती है। जिससे पाकिस्तान के लोगों पर महंगाई की मार पड़ेगी। पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तानी पीएम ने दो बार बयान जारी कर एफएटीएफ प्रतिबंध को लेकर चिंता जताई है। जानकारों का मानना है कि अक्टूबर, 2020 में एफएटीएफ की बैठक में प्रतिबंध से बचने के लिए पाकिस्तान को कम से कम तीन देशों का समर्थन चाहिए।
गौरतलब है कि पाकिस्तान को दो वर्ष पहले ग्रे लिस्ट में डाला गया था और उसे आतंकी फंडिंग रोकने के साथ ही 50 तरह के कदम उठाने के निर्देश दिए गए थे। फरवरी, 2020 की बैठक में भी पाकिस्तान ने जो रिपोर्ट सौंपी थी उससे अधिकांश देश संतुष्ट नहीं थे, लेकिन पाकिस्तान को मलेशिया, तुर्की और चीन का समर्थन मिला और वह प्रतिबंधित सूची में जाने से बच गया।