विवादों में घिरा फेसएप आज कल युवाओं के बीच खासा पसंद किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इसका इस्तेमाल कर युवा अपने बुढ़ापे की तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं। इस एप की प्राइवेसी को लेकर चिंता जरूर जताई जा रही है। लेकिन फेसएप एक परिवार के लिए खुशियों का सबब बना है। फेसएप की मदद से चीन में एक परिवार को करीब दो दशक(18 साल) पहले किडनैप किया गया उनका बच्चा वापस मिल गया। इस बच्चे का तीन साल की उम्र में अपहरण कर लिया गया था।
फेसएप सोशल मीडिया पर जिस तरह से वायरल हुआ, इस एप के आने के बाद पुलिस को विचार आया कि उस बच्चे की पुरानी तस्वीर से उसकी आज की तस्वीर हासिल की जा सकती है। पुलिस ने सोचा कि क्यों ना बच्चे की पुरानी तस्वीर को इस एप की मदद से बदला जाए और देखा जाए कि आज वो बच्चा कैसा दिखता है। पुलिस ने ठीक ऐसा ही किया। पुलिस ने फेसएप से बचपन की फोटो कंवर्ट की। पुलिस ने बच्चे की तीन साल की तस्वीर को लिया और इस एप की मदद से बताया कि वो अब कैसा दिखता होगा। कोई गलती ना हो इसके लिए पुलिस ने एआई लैब के अनुमान का मौजूदा फेशियल रिकग्निशन तकनीके के साथ मिलाकर देखा। आखिरकार पुलिस इस तकनीक की बदौलत बच्चे को खोजने में कामयाब रही। बच्चे का नाम यू वीफेंग(21 वर्ष) है और अब वह एक कॉलेज छात्र है।

किस तरह बच्चे तक पहुंची पुलिस ?
जिस एप का इस्तेमाल चीन की पुलिस ने किया है, उसे चीन की टेक और इंटरनेट कंपनी टेनसेंट ने बनाया है। एप की मदद से करीब सौ लोगों को छांटा गया। जिसके बाद पता चला कि 18 साल पहले किडनैप हुआ यू वीफेंग अब कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है। मामले की जांच में जुटे एक अधिकारी ने बताया कि जब उन्हें बच्चा(वीफेंग) मिला तो उसने इनकार कर दिया कि उसको किडनैप किया गया था। लेकिन जब डीएनए मिलान किया गया तो सब साफ हो गया। अधिकारियों के मुताबिक वह अपहरण के बाद से ही बच्चे की तलाश में लगे हुए थे।
कैसे गायब हुआ था बच्चा ?
यब बच्चा(वीफेंग) 6 मई, 2001 को एक कंस्ट्रक्शन साइट से लापता हो गया था। बच्चा खेलते हुए वहां से गायब हो गया था। आज जब माता-पिता को पता चला कि कोई और परिवार उसके बेटे की परवरिश की। उन्होंने उस परिवार का धन्यवाद किया है।
क्या है फेसएप ?
आजकल सोशल मीडिया पर यह एप काफी लोकप्रिय हो रहा है। इस एप की मदद से लोगों में अपना बुढ़ापा देखने के लिए लोगों में होड़ सी लग गई है। सभी अपनी तस्वीरें शेयर कर रहे हैं कि वह बुढ़ापे में कैसे दिखेंगे। ये सब एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जरिए संभव हो रहा है।
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