हम सभी की जीवनशैली काफी तेजी से बदल रही है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद भी हमें अच्छी-खासी रकम की जरूरत हर महीने होती है। हालांकि, रिटायर होने के बाद आपकी आमदनी काफी सीमित रह जाती है। ऐसे में एक बड़े रिटायरमेंट फंड की दरकार सभी को होती है। विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी व्यक्ति को अपनी नौकरी के शुरुआती दिनों में ही रिटायरमेंट के लिए सेविंग शुरू कर देनी चाहिए। हम इससे रिटायरमेंट के समय तक एक बड़ी राशि जुटाने में मदद मिलती है। रिटायरमेंट फंड से जुड़ी कई योजनाएं हैं। इनमें कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), सामान्य भविष्य निधि (PPF), स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) जैसी योजनाएं प्रमुख हैं।
इनमें से अधिकांश योजनाएं लॉन्ग टर्म डिपॉजिट प्लान्स हैं और मोटा रिटर्न देती हैं। किसी भी ग्राहक को इनमें से कोई एक निवेश प्लान चुनते समय इन सभी की जानकारी होना आवश्यक है। ग्राहक को इस तरह यह पता लगेगा कि उसके लिए सबसे सटीक प्लान कौन-सा है। आइए इन योजनाओं के बारे में जानते हैं।
ईपीएफ
बीस से अधिक कर्मचारियों वाली प्रत्येक कंपनी को अपने कर्मचारियों की भविष्य निधि के लिए योगदान देना अनिवार्य होता है। कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में उसकी बेसिक सैलरी व डीए का 12 फीसद कर्मचारी द्वारा और इतना ही कंपनी द्वारा जमा कराया जाता है। ईपीएफ में पेंशन निधि भी शामिल होती है। यह कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद प्रदान की जाती है। मौजूदा तिमाही में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.5 फीसद है। कुछ विशेष परिस्थितियों में निवेशक मैच्योरिटी से पहले अपने ईपीएफ अकाउंट से निकासी कर सकते हैं।
वीपीएफ
वीपीएफ ईपीएफ का विस्तार ही होता है। इसका मतलब है कि निवेशक वीपीएफ के लिए तब ही जा सकते हैं, जब उनके पास ईपीएफ अकाउंट हो। ईपीएफ की तरह ही वीपीएफ में 8.5 फीसद ब्याज मिलता है। कर्मचारी अगर अपनी बेसिक सैलरी व डीए के 12 फीसद से अधिक राशि पीएफ फंड में जमा करता है, तो उसे VPF या स्वैच्छिक भविष्य निधि कहते हैं। कोई भी वेतनभोगी कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और डीए का 100 फीसद तक VPF में जमा करा सकता है। इस योजना के तहत निवेशक ईपीएफ में अपना योगदान बढ़ाकर लंबे समय में काफी मोटा रिटर्न प्राप्त कर सकता है।
पीपीएफ
रिटायरमेंट फंड तैयार करने के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी PPF काफी अच्छा निवेश विकल्प है। पीपीएफ सरकार द्वारा समर्थित सेविंग स्कीम है। पीपीएफ की सबसे खास बात यह है कि यह EEE स्टेटस के साथ आती है। अर्थात इस निवेश योजना में तीन स्तर पर ब्याज में छूट मिलती है। इस योजना में मैच्योरिटी राशि और ब्याज आय भी करमुक्त होती है। इस योजना में निवेश करके निवेशक हर साल 1.5 लाख रुपये का आयकर बचा सकता है। यह योजना 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आती है। इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इस समये पीपीएफ पर ब्याज दर 7.1 फीसद है। जो लोग जोखिम मुक्त निवेश करना चाहते हैं और एनपीएस या वीपीएफ जैसा लंबी अवधि वाला निवेश विकल्प नहीं चुनना चाहते, वे पीपीएफ में निवेश कर सकते हैं।
एनपीएस
यह मुख्य रुप से साल 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए लॉन्च किया गया था। फिर से साल 2009 में सामान्य नागरियों के लिए भी खोल दिया गया। नेशनल पेंशन सिस्टम में 18 से 60 साल तक की उम्र के लोग निवेश कर सकते हैं। देश के करीब सभी सरकारी और निजी बैंकों में जाकर इस स्कीम के तहत खाता खुलवाया जा सकता है। एनपीएस म्युचुअल फंड की तरह ही मैनेज होता है। इसके चलते इस निवेश विकल्प से काफी अच्छा रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। एनपीएस में निवेशक को अपनी जॉब के दौरान प्रति माह कुछ राशि जमा करानी होती है।
निवेशक रिटायरमेंट के बाद तैयार हुए फंड से एक हिस्सा निकाल सकते हैं और शेष रकम से नियमित आय के लिए एनुइटी ले सकते हैं। एनपीएस में तीन तरह से निवेश होता है। पहला इक्विटी, दूसरा कॉरपोरेट बॉन्ड और तीसरा गवर्नमेंट सिक्युरिटीज। यहां निवेशक को अपना निवेश निर्धारित करने के लिए दो विकल्प मिलते हैं। पहला एसेट अलोकेशन और दूसरा ऑटो च्वॉइस।ऑटो च्वॉइस में शुरुआत में इक्विटी में 50 फीसद हिस्सा जाता है और यह समय के साथ कम होता जाता है। वहीं, एसेट अलोकेशन में निवेशक 75 फीसद तक इक्विटी में निवेश कर सकता है।